कोयला खदान में काम करने वाले का बेटा बनना चाहता था पुलिस बन गया क्रिकेटर – आपको बता दें कि एक कोयला खदान मजदूर का बेटा उमेश यादव , जिसका लक्ष्य एक पुलिसवाला बनना था, उसका भाग्य उसे क्रिकेट के मैदान पर ले आया । सेना और पुलिस बल में नौकरी के लिए आवेदन करने की असफल कोशिश करने के बाद, 19 वर्षीय यादव ने क्रिकेट खेलने की शुरुआत की, जिस उम्र में अन्य खिलाड़ी सबसे तेज गेंदबाज़ बन घरेलू स्तर पर एक नाम बना रहे थे और राष्ट्रीय पदक की ओर नज़रे लगाए बैठा था ।यादव रणजी ट्रॉफी के प्लेट लीग में विधर्भ टीम में शामिल हो गए, और उनके कप्तान प्रीतम गंधे ने उन्हें सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया।
यादव ने मध्य प्रदेश के खिलाफ विदर्भ के लिए 2008 में अपनी प्रथम श्रेणी की शुरुआत की। उन्होंने लोगों को पहले सीज़न में 14.60 के औसत से 20 विकेट लेकर प्रभावित किया। 140 किमी प्रति घंटे के करीब नियमित रूप से गेंदबाजी करने और हवा में गेंद को झुकावने की क्षमता ने उन्हें प्रतिष्ठा दी।आज भारतीय टीम के गिने -चुने हुए खिलाडियों में उमेश यादव की गिनती होती है ।