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बेटे का इंतजार कर रही थी पिता की लाश, मैदान पर चौके-छक्कों की बरसात कर रहा था टीम इंडिया का ये स्टार!

locationनई दिल्लीPublished: Oct 29, 2017 01:55:32 pm

Submitted by:

राहुल

यह बात शायद ही किसी को पता हो कि विराट कोहली का जीवन कितने संघर्षों से गुजरा है…

virat kohli
नई दिल्ली: क्रिकेट का खेल हमारे देश का सबसे बड़ा खेल बन गया है, हम भारतीयों के लिए खेल का मतलब क्रिकेट बनने की शायद तभी शुरुआत हो गई थी, जब एक असली क्रिकेटर सीके नायडू भारतीय टीम के कप्तान बने। भारत को आजादी मिलने के पाँच साल के अंदर ही भारत ने पहली टेस्ट जीत का स्वाद चखा और उससे पराजय झेलने वाला कोई और नहीं, बल्कि वे गोरे थे जिन्हें आजादी के दीवानों ने 1947 में देश से खदेड़ दिया था।
लेकिन आज हम बात सीके नायडू की नहीं बल्कि एक ऐसे खिलाड़ी की कर रहे हैं जिसने टीम को जीतने का ज़ज्बा दिया है। यूँ तो सीके नायडू की परम्परा को सुनील गावस्कर , सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी जैसे कप्तानों ने बखूबी निभाया लेकिन वर्तमान में अगर इसे अगर कोई आगे लेकर जा रहा है तो वो हैं वर्तमान में टीम इंडिया के तीनों फॉर्मेट के कप्तान विराट कोहली , जो खुद के प्रदर्शन से टीम के बाकी खिलाड़ियों को प्रेरणा देते हैं।
अगर ऐसा हुआ तो कोहली आज बना देंगे ऐसा विराट रिकॉर्ड, जो विश्व क्रिकेट में अब तक नहीं हुआ

विराट कोहली आज जिस मुकाम पर हैं उसे हासिल करने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है। यह बात शायद ही किसी को पता हो कि विराट कोहली का जीवन कितने संघर्षों से गुजरा है! फर्श से अर्श का सफर तय कर टीम की कमान संभाल रहे विराट के बारे में पत्रकार राजदीप सरदेसाई की किताब डेमॉक्रेसी इलेवन में काफी बातें लिखी हैं। राजदीप सरदेसाई की इस किताब में विराट के पिता प्रेम कोहली का ज़िक्र किया गया और बताया गया है कि विराट अपने पिता के बेहद करीब थे। किताब ने राजदीप ने लिखा है कि जिस वक्त विराट के पिता प्रेम कोहली (54) की साल 2006 में ब्रेन स्ट्रोक के कारण मौत हुई थी, उस वक्त विराट की उम्र महज 18 साल थी और वह दिल्ली की रणजी टीम की ओर से खेल रहे थे।
virat kohli
इस मैच में विराट एंड कंपनी के सामने मैच बचाने की चुनौती थी क्योंकि पहले दिन कर्नाटक ने पहली पारी में 446 रन बनाए थे। दूसरे दिन दिल्ली की टीम मुश्किल में पड़ गई। उसे पांच विकेट गिर चुके थे। दिन का खेल खत्म होने के बाद विराट कोहली 40 रन पर नाबाद लौटे थे। वो दिन 19 दिसम्बर था और उसी रात विराट कोहली के पिता इस दुनिया को अलविदा कह गये। कोहली के पिता के निधन की बात जब ड्रेसिंग रूम तक पहुंची तो टीम मैनेजमेंट और साथी खिलाडियों को यही लगा कि विराट यह मैच आगे नहीं खलेंगे। इस वजह से कोच ने एक अन्य खिलाड़ी को उनकी जगह बल्लेबाजी करने उतरने के लिए कह भी दिया था। लेकिन अगले दिन सभी उस वक्त हैरान रह गए, जब विराट कोहली मैदान पर उतरे और 90 रन बनाकर दिल्ली को फॉलोऑन से उबारा।
विराट कोहली को उनके इसी दिन ने एक गंभीर खिलाड़ी बनाया। भारतीय टीम के ऐसे खिलाड़ियों की वजह से ही आज ऐसा कहने में कोई गुरेज नहीं कि महेंद्र सिंह धोनी, सौरव गांगुली, कपिल देव जैसे भारतीय कप्तानों के कारण ही भारतीय क्रिकेट में ऐसा हो सका है कि भारत आज दुनियाभर में इस खेल को चलाने वाला फाइनेंशियल पावरहाउस है। अब तो फाइनेंशियल पावरहाउस में विराट कोहली का नाम भी जुड़ चुका है। इन खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट को एक ऐसा खेल बना दिया है जो हमारे दिल के सबसे करीब है।
विराट कोहली के रिकार्ड्स और प्रदर्शन की कहानी न जाने कितनी बार अख़बार और मैगजीनों के पन्ने काले कर चुकी है। कोहली ने अब तक अपने करियर में खेले गये 201 वनडे मैचों की 193 पारियों में 8917 रन बनाए हैं। जिनमें 31 शतक और 45 अर्धशतक शामिल हैं। शतकों के मामले में विराट अब सिर्फ सचिन तेंदुलकर के 49 शतकों से ही पीछे हैं।
विराट और कोहली सरीखे खिलाड़ियों का प्रदर्शन और खेल के प्रति समर्पण कहिये या इसे हम भारतीयों की ताकत कहिये या गुरुर लेकिन क्रिकेट के मैदान से आने वाली आवाजें हमारे कानों में पड़ने वाले मधुर संगीत के जैसी हैं। यह गुरुर हमें खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर निराश भी करता है तो कभी यही गुरुर उन्हीं खिलाड़ियों को भगवान का दर्ज़ा भी दे देता है।
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