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डीएलएस नियम के जनक टोनी लेविस का निधन, बारिश से बाधित मैचों में लाए क्रांतिकारी बदलाव

Published: Apr 02, 2020 12:22:54 pm

ECB ने Tony Lewis के निधन पर गहरा दुख जताया है। उसने कहा कि क्रिकेट जगत उनका आजीवन ऋणी रहेगा।

Tony Lewis

Tony Lewis

लंदन : क्रिकेट को डकवर्थ-लेविस का नियम देने वाले गणितज्ञ टोनी लेविस (Tony Lewis) का निधन हो गया है। वह 78 साल के थे। उन्होंने अपने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर इस नियम की खोज की थी। इस कारण इसे डकवर्थ-लेविस कहा जाता है। पहले के नियमों से बेहतर होने के बावजूद इस फॉर्मूले में कुछ खामियां थी। इस कारण इसकी आलोचना होती रहती थी। बाद में ऑस्ट्रेलिया के स्टेटिशियन स्टीवन स्टर्न ने मौजूदा स्कोरिंग रेट के हिसाब से इसे रिवाइज किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने स्वीकार किया। इसके बाद 2014 में डकवर्थ-लेविस-स्टर्न कहा जाने लगा।

ईसीबी ने जताया दुख

इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने बयान जारी कर कहा कि ईसीबी को टोनी लेविस मौत से बहुत दुख हुआ है। उन्होंने अपने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिल कर 1997 में डकवर्थ-लेविस का नियम दिया था। इसे आईसीसी ने 1999 में अपनाया था। ईसीबी ने कहा कि 2014 में इसका नाम बदलने के बाद भी बारिश से बाधित मैचों में दुनियाभर में गणित के इस फॉर्मूले का इस्तेमाल होता आ रहा है। क्रिकेट जगत टोनी और फ्रैंक दोनों के योगदान के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा। ईसीबी ने कहा कि हम टोनी के परिवार के प्रति शोक व्यक्त करते हैं।

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पहले क्या होता था

डीएल मेथड से पहले बारिश से प्रभावित मैचों में औसत का नियम अपनाया जाता था। जिस टीम का औसत ज्यादा होता था, उसे विजेता घोषित कर दिया जाता था। इसमें विकेट कितने गिरे हैं, इसका ध्यान नहीं रखा जाता था और जीत की संभावनाओं को भी नजर अंदाज किया जाता था। क्रिकेट जगत को लगा कि यह उचित प्रणाली नहीं है तो उसने बेहतर प्रणाली की खोज शुरू की।

1992 में आया सर्वश्रेष्ठ ओवर का नियम

क्रिकेट जगत में 1992 में आया नया नियम शायद सबसे ज्यादा गड़बड़ था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में वापसी करने के बाद इस साल पहली बार विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका की टीम उतरी थी। इस टूर्नामेंट में बारिश से बाधित मैचों में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम के रन के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ ओवरों को लक्ष्य में शामिल करने का नियम लागू किया था। इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका आमने-सामने थे। पहली बार में ही दक्षिण अफ्रीका की टीम फाइनल का रास्ता तय करती दिख रही थी। दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 13 गेंद पर 22 रन बनाना था, तभी बारिश आ गई। इसके बाद जब दोबारा खेल शुरू हुआ तो लक्ष्य संशोधित कर एक गेंद पर दक्षिण अफ्रीका को 21 रन बनाने का लक्ष्य दिया गया। यह स्थिति इसलिए आई, क्योंकि लक्ष्य में इंग्लैंड के उन ओवरों को ही लिया गया, जिसमें उसने सबसे ज्यादा रन बनाए थे। इसी नियम के कारण दक्षिण अफ्रीका जीत की हालत में होते हुए भी हार गई। इसके बाद इस नियम की काफी आलोचना हुई और यह महसूस किया जाने लगा कि कोई ऐसा नियम लाया जाए, जिसमें जीत की संभावनाओं का भी ध्यान रखा जाए। इसके बाद डकवर्थ-लुइस नियम आया।

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1997 में हुआ पहली बार इस्तेमाल

टोनी लेविस ने अपने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिल कर मौसम के कारण प्रभावित मैचों में रनों का पीछा करने को तर्कसंगत बनाने के लिए इस नियम को बनाया। इस जोड़ी ने 1997 में इस फॉर्मूले को आईसीसी के सामने पेश किया। प्रायोगिक तौर पर इसका पहली बार इस्तेमाल 1997 में जिम्बाब्वे-इंग्लैंड के बीच मैच में किया गया था। इस मैच में जिम्बाब्वे को डकवर्थ लुईस नियम के आधार पर 7 रन से जीत हासिल हुई थी। इसके बाद 1999 में आईसीसी ने बारिश से प्रभावित एकदिवसीय मैचों में लक्ष्य निर्धारित करने के लिए डकवर्थ-लुइस नियम को मान्यता दे दी। 1999 में इंग्लैंड में खेले गए विश्व कप में इसका इस्तेमाल पहली बार हुआ।

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