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1. बल्लेबाजी का फेल होना-
जिसके लिए भारत पूरी दुनिया में जाना जाता है, वही भारत के लिए इस टेस्ट सीरीज में सबसे बड़ी कमजोरी बन कर सामने आई है। पूरी टेस्ट सीरीज को देखा जाए तो भारत की बल्लेबाजी बुरी तरीके से फेल रहा। विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे को छोड़ दिया जाए, तो भारत के अन्य सभी बल्लेबाज “तू चल, मैं आया” के तर्ज पर आउट होते गए।
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2. सलामी जोड़ी का फेल होना-
तीसरे टेस्ट मैच की दोनों पारियों में भारत की सलामी जोड़ी ने 50 से ज्यादा रनों की साझेदारी निभाई थी। इस सधी हुई शुरुआत की बुनियाद पर भारत के मध्य क्रम के बल्लेबाजों ने अपना योगदान देते हुए ठीक-ठाक स्कोर कर लिया था। लेकिन इस टेस्ट मैच की दोनों पारियों में भारत की ओपनिंग जोड़ी फिर फेल हो गई। खास कर दूसरी पारी में जहां भारत को एक ठोस शुरुआत की जरुरत थी, वहां ओपनिंग साझेदारी मात्र चार रनों की हुई।
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3. पांड्या का बुरी तरह से फेल होना-
भारतीय क्रिकेट टीम में हार्दिक पांड्या एक ऑल राउंडर के रूप में शामिल हैं। लेकिन साउथहैम्पटन में खेले गए चौथे टेस्ट में वो अपनी भूमिका निभा पाने में नाकाम रहे। पांड्या ने पहली पारी में गेंदबाजी के दौरान जहां केवल एक विकेट चटकाया वहीं बल्लेबाजी के दौरान उनके बल्ले से मात्र चार रन निकले। बात दूसरी पारी की हो तो यहां पांड्या का प्रदर्शन और खराब रहा। दूसरी पारी में पांड्या गेंदबाजी में सबसे मंहगे रहते हुए खाली हाथ लौटे, वही बल्लेबाजी के दौरान भी उनका स्कोर शून्य ही रहा।
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4. फिल्डिंग भी दिखी ढीली-
इंग्लैंड के मुकाबले फिल्डिंग में भी भारतीय टीम काफी कमजोर नजर आई। इंग्लैंड के फिल्डर एक-एक रन बचाने के लिए पूरे मैदान में दौड़ते दिखे तो भारतीय फिल्डरों ने खुले हाथ से रन खर्च किए। एकाध मौके पर भारतीय फिल्डरों ने कैच भी टपकाए। अगर भारतीय फिल्डर इन मौकों को न गंवाते तो इंग्लैंड इतनी बड़ा स्कोर दे पाने में सफल नहीं हो पाता।
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5. कप्तानी में दिखा ये चूक-
निसंदेह इस पूरी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन विराट कोहली ने किया है। लेकिन बतौर कप्तान वो कई मौकों पर चूक गए। बात अगर चौथे टेस्ट की हो तो इसमें कोहली इंग्लैंड के नए बल्लेबाजों के खिलाफ ज्यादा आक्रमक नहीं दिखे। मैच में मो. शमी दो-दो बार हैट्रिक पर थे। लेकिन इसके बाद भी तीसरी गेंद पर उन्होंने एक ही स्लिप के साथ गेंदबाजी की। वही इंग्लैंड की गेंदबाजी के दौरान जब-जब कोई भारतीय बल्लेबाज आउट होता था तो कप्तान जोए रूट ने बेहद आक्रमक फिल्डिंग सेट कर नए बल्लेबाज की मुश्किले बढ़ा दिया करते थे।