गुस्से पर काबू रखते तो और खेल सकते थे गंभीर
दिलीप वेंगसरकर की नजर में बाएं हाथ का इस सलामी बल्लेबाज को टीम इंडिया के लिए और खेलना चाहिए था। वह अंडररेटेड खिलाड़ी थे, लेकिन वेंगसरकर की नजर में इसकी वजह वह खुद थे। गुस्से की वजह से वह अपना करियर ज्यादा लंबा नहीं खींच पाए। वेंगसरकर ने कहा कि गंभीर अंडररेटेड प्लेयर थे। उनके पास बहुत प्रतिभा थी। लेकिन अपने गुस्से और इमोशंस पर उनका कंट्रोल नहीं था। वेंगसरकर ने कहा कि उन्हें लगता है कि गंभीर में जितनी क्षमता थी, उसके हिसाब से उन्हें भारत के लिए और खेलना चाहिए था।
2003 में किया था डेब्यू
गौतम गंभीर ने 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू किया था और अपना आखिरी टेस्ट 2016 में खेला। 2018 में उन्होंने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया इसके बाद राजनीति में आए और 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) से सांसद बने। लेकिन इन 13 साल के अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में गंभीर सिर्फ 58 टेस्ट खेल पाए। उन्होंने टेस्ट में 41.95 की औसत से नौ शतकों की मदद से 4154 रन बनाए। एकदिवसीय क्रिकेट की बात करें तो उन्होंने 147 मैचों में 11 शतक की मदद से 5238 रन बनाए। वहीं 37 टी-20 मैचों में उन्होंने 932 रन बनाए।
कई यादगार पारियां हैं गंभीर के नाम
बता दें कि गौतम गंभीर 2009 में आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर (ICC Test Player Of the Year) अवॉर्ड के लिए चुने गए थे। इस साल उन्होंने 8 टेस्ट में 84.60 की अविश्वसनीय औसत से 1269 रन बनाए थे और पांच शतक तथा चार अर्धशतक भी जड़ा था। गंभीर दो बार विश्व कप जीतने वाले भारतीय टीम का सदस्य रह चुके हैं। दोनों बार महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) टीम के कप्तान थे और दोनों विश्व कप के फाइनल में उन्होंने यादगार पारियां खेली थी। गंभीर ने आईसीसी टी-20 विश्व कप 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ 54 गेंदों पर धुआंधार 75 रन की पारी खेली थी। वहीं 2011 के एकदिवसीय विश्व कप के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ शानदार 97 रनों की पारी खेली।