गंभीर ने ट्वीट कर कहा है, ”इसका मेरे पास एक समाधान है। सरकार को ये अनिवार्य कर देना चाहिए के हर राजनेता को कम से कम एक हफ्ते तक अपने पूरे परिवार के साथ कश्मीर में उसी जगह पर रहना चाहिए, जहां ये घटना घटी है, वो भी बिना किसी सिक्योरिटी के। उसके बाद ही उस राजनेता को 2019 का चुनाव लड़ने दिया जाएगा। इन लोगो को समझाने का इससे बेहतर और कोई तरीका नहीं है।”
एफआईआर पर गंभीर ने जताई नाराजगी
36 साल के इस खिलाड़ी ने पत्थरबाजों के द्वारा सीआरपीएफ वैन पर किए गए हमले को लेकर बेहत सख्त तेवर दिखाए हैं। गंभीर की नाराजगी उस वक्त सामने आई है, जब ये खबर सामने आई कि इस मामले में पुलिस ने सीआरपीएफ पर 2 एफआईआर दर्ज कर ली है।
क्या है मामला
आपको बता दें कि नौहट्टा में शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान कैसर अहमद नाम के एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी। ये प्रदर्शनकारी सीआरपीएफ वैन पर हमले के दौरान गाड़ी के नीचे आ गया था। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारियों के एक झुण्ड ने सीआरपीएफ के वाहन पर पत्थरों से हमला किया था, जिसके बाद ये हादसा हुआ। इस हादसे को लेकर भारतीय दिग्गज बल्लेलबाज गौतम गंभीर ने गुस्सा जाहिर किया है।
‘पत्थरबाजों के साथ बातचीत का समय नहीं’
इसके अलावा एक अन्य ट्वीट में भी गंभीर ने कहा है कि अब भारत को ये सोच त्याग देनी चाहिए कि इनके (पत्थरबाज) साथ कमरे में बैठकर बातचीत की जा सकती है, अगर देश के नेता सुरक्षाबलों पर भरोसा जताते हैं तो सीआरपीएफ आपको परिणाम दिखा देगी।
इससे पहले भी सैन्य मदद के लिए आगे आए हैं गंभीर
आपको बता दें गंभीर अक्सर सामाजिक मुद्दों को लेकर अपनी राय बेबाकी से सभी के सामने रखते हैं। शहीद सैनिकों के बच्चों के लिए गौतम गंभीर अबतक काफी काम कर चुके हैं। अब एक बार फिर उन्होंने शहीद के बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेदारी ली है। इससे पहले गौतम गंभीर जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद हुए अब्दुल राशिद की बेटी जोहरा की मदद कर चुके हैं। गौतम गंभीर फाउंडेशन की शुरुआत 2014 में हुई थी। यह एक नॉन प्रोफिटेबल संगठन है। सैन्य बलों के शहीदों के परिवारों की मदद के लिए यह संगठन काम करता है। गंभीर अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझते हुए अक्सर मुद्दे उठाते रहते हैं। वह ना सिर्फ टिप्पणी करते हैं बल्कि मदद के लिए सबसे पहले आगे भी आते हैं।