अच्छे और बहुत अच्छे खिलाड़ी में होता है अंतर
बड़े टूर्नामेंटों में भारतीय खिलाड़ियों के दबाव न झेलने पर टिप्पणी करते हुए गौतम गंभीर ने कहा कि अच्छे खिलाड़ी और बहुत अच्छे खिलाड़ी में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि निर्णायक मुकाबलों में आप कैसा प्रदर्शन करते हैं। ऐसा प्रदर्शन जो मैच जिता सके। उनकी नजर में मौजूदा टीम इंडिया इन मैचों में दबाव नहीं झेल पाती है, जबकि दूसरे देशों की टीमें ऐसा कर लेती हैं।
विश्व कप सेमीफाइनल में कीवी टीम से मिली थी हार
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 2011 में एकदिवसीय विश्व कप जीता था। इसके बाद से चार आईसीसी टूर्नामेंटों के सेमीफाइनल में टीम इंडिया पहुंची है, लेकिन खिताब एक बार भी नहीं जीत पाई। पिछले साल विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया को इंग्लैंड में हुए एकदिवसीय विश्व कप के सेमीफाइनल में कीवी टीम से हार मिली थी। इस नॉकआउट मुकाबले में टीम इंडिया के टॉप-3 बल्लेबाज उपकप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma), ओपनर लोकेश राहुल (KL Rahul) और कप्तान विराट कोहली एक-एक रन बनाकर आउट हो गए थे। बता दें कि विश्व कप के लीग चरण में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया था और अंकतालिका में टॉप पर थी।
इन आईसीसी टूर्नामेंट के लीग चरण में किया शानदार प्रदर्शन
2011 विश्व कप जीत के बाद से टीम इंडिया को नॉकआउट मुकाबलों में झटका लग रहा है। 2015 एकदिवसीय विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से, 2016 टी-20 विश्वकप के सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज, 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान और 2019 एकदिवसीय विश्वकप के सेमीफाइनल में टीम इंडिया को न्यूजीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। दूसरी तरफ अगर देखें तो इन सभी टूर्नामेंटों के लीग मुकाबलों में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया था।
गंभीर बोले, कमजोर मानसिकता
गंभीर ने कहा कि अगर आप आईसीसी टूर्नामेंट्स में टीम इंडिया के सेमीफाइनल और फाइनल के प्रदर्शन को देखें और लीग चरण को देखें तो सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। टीम इंडिया ग्रुप चरण में बेहतरीन प्रदर्शन करती है, लेकिन जैसे ही सेमीफाइनल और नॉकआउट मुकाबले जाती है तो उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहता है। ऐसा शायद कमजोर मानसिकता के कारण होता है। बता दें कि इसी कारण कोहली की कप्तानी की आलोचना होती रहती है।
2011 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य गंभीर का मानना है कि टीम इंडिया के पास सब कुछ है। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से कहते हैं कि हमारे पास विश्व चैंपियन बनने की क्षमता है, लेकिन जब तक आप इसे क्रिकेट मैदान पर साबित नहीं करते, तब तक विश्व चैंपियन नहीं बन सकते। ऐसी स्थिति में आपको अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना होगा। गंभीर ने कहा कि उनका हमेशा से मानना है कि द्विपक्षीय सीरीज और लीग स्तर में आपके पास गलती करने के मौके होते हैं, लेकिन नॉकआउट में गलती नहीं कर सकते। अगर गलती की तो सीधे घर जाना होगा। ऐसे मौके पर भरोसे की जरूरत पड़ती है, जो निर्णायक मुकाबलों में टीम इंडिया के पास नहीं होती।