दो युवा बल्लेबाजों पर टिकी है उम्मीद
भारत की पूरी उम्मीद रिषभ पंत और हनुमा विहारी पर टिकी है। पंत (24 रन) व विहारी (9 रन) क्रीज पर टिके हैं। इन दोनों के लिए जीत के लिए 175 रन बनाना कोई मुश्किल नहीं है। बस इनकी अनुभवहीनता इनके आड़े आ सकती है। जहां पंत का यह मात्र सातवां टेस्ट मैच है तो वहीं हनुमा विहारी अपना सिर्फ का दूसरा टेस्ट मैच खेल रहे हैं। पंत कई मौकों पर अपने बल्ले से काबिलियत दिखा चुके हैं। इस वर्ष इंग्लैंड टूर पर विदेशी सरजमीन पर उन्होंने आखिरी टेस्ट मैच की दूसरी पारी में 114 रन की पारी खेली थी। इसके अलावा वह 29 फर्स्ट क्लास मैचों में दो हजार से ऊपर रन बना चुके हैं। घरेलू मैचों (रणजी ट्राफी) में वह तिहरा शतक (308 रन) भी लगा चुके हैं। हनुमा बिहारी की बात करें तो उन्होंने भी उसी मैच से टेस्ट में डेब्यू किया था, जिसमें पंत ने शतक लगाया था। विदेशी पिच पर शानदार टेम्परामेंट दिखाते हुए उन्होंने अर्धशतक लगाया था। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में हनुमा विहारी 66 मैचों में पांच हजार से ज्यादा रन बना चुके हैं। उनकी सर्वक्षेष्ठ परी 302 नाबाद है। इस लिहाज से देखा जाए तो अनुभव भले न हो इनके पास, लेकिन लंबी पारियां खेलने में ये दोनों माहिर हैं।
लियोन हैं सबसे बड़ी मुसीबत
पांचवें दिन दिन भारत को 90 ओवर की खेल में जीत के लिए 175 रन बनाने हैं। यानी समय पर्याप्त है और इस टेस्ट में अगर मौसम ने बाधा नहीं डाली तो नतीजे आना तय है। लेकिन पांचवे दिन भारत की जीत के बीच अगर कोई प्लेयर आ सकता है तो वह हैं नाथन लियोन। आखिरी दिन दुनिया की किसी भी पिच पर स्पिनर के खिलाफ रन बनाना आसान नहीं होता। ऐसे में लियोन पर इन्हें सावधानी बरतनी होगी। इतनी ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाज कमिंस, स्टार्क व हैजलवुड भी विश्व स्तरीय हैं। वह लियोन का साथ सफलतापूर्वक देने में सक्षम हैं। टूटती पिच पर इन्हें भी गति के साथ असामान्य उछाल मिल सकती है। वह भी तब, जब इस पिच पर गति और असामान्य उछाल पहले दिन से देखी जा रही है। लक्ष्य इतना कम है कि यह कोई मसला नहीं। दो रन प्रति ओवर से भी कम का टारगेट बचा है आखिरी दिन। बस इन्हें आखिरी दिन अपना विकेट बचा कर रखना होगा और इन बल्लेबाजों को हवा में शॉट खेलने का मोह नहीं करना होगा, जो अक्सर पंत कर गुजरते हैं। इसके लिए उनकी आलोचना भी लगातार हो रही है। इसके बावजूद वह सुधर नहीं रहे हैं।