1983 के विश्व कप फाइनल मैच में टीम इंडिया पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 183 रनों पर आलआउट हो गई थी। इसके बाद विंडीज जब बल्लेबाजी करने आई तो उनके दिग्गज बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स पूरी लय में धुआंधार बल्लेबाजी कर रहे थे। कप्तान कपिल देव की समझ में नहीं आ रहा था कि गेंद किसे दें। वह गेंद हाथ में लेकर देख रहे थे कि किसे थमाए। इससे पहले मदन लाल की गेंदों पर विव अच्छी खासी धुनाई कर चुके थे। इसलिए कपिल उन्हें गेंद देने के मूड में नहीं थे। तब मदन लाल ने उनकी हाथ गेंद छीन ली और कहा कि वह गेंदबाजी करेंगे। कपिल ने उन्हें कहा भी, अरे रुक भाई जा, लेकिन वह अड़े रहे कि वही गेंदबाजी करेंगे। उन्होंने कहा कि देखना रिचर्ड्स को वह आउट कर देंगे। इसके बाद उन्होंने विव को अपनी सामान्य गेंदों से ज्यादा एक तेज गेंद फेंकी। रिचर्ड्स उसे टाइम नहीं कर पाए और कपिल देव ने शानदार कैच पकड़ा। इसके बाद टीम इंडिया में फाइनल जीतने की उम्मीद जग गई और भारतीय टीम ने 143 पर विंडीज को समेट कर विश्व कप जीत लिया। इस मैच में मदन लाल ने तीन विकेट लिए थे। इससे पहले क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भी उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार विकेट लेकर कंगारुओं को 129 रनों पर समेट दिया था।
ऐसा रहा है करियर
मदनलाल ऊधौराम शर्मा टीम इंडिया के अहम हरफनमौला था। उन्होंने 1974-1987 तक टीम इंडिया के 39 टेस्ट और 67 वनडे खेले। उन्होंने 39 टेस्ट में निम्नक्रम पर बल्लेबाजी करते हुए 22.65 के औसत से 1,042 रन बनाए और 40.08 के औसत से 73 विकेट चटकाए। टेस्ट क्रिकेट में मदन लाल के नाम पांच अर्धशतक भी है। वह भी तब जब वह हमेशा निम्न क्रम में बल्लेबाजी करने आते थे। वहीं 67 वनडे में 19.1 की औसत से 401 रन बनाए हैं। उनके नाम एक अर्धशतक भी है। वहीं 29.27 की औसत से 71 विकेट चटकाए हैं। मदन लाल का बतौर हरफनमौला प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड है। उन्होंने 42.87 के औसत से 22 शतक की मदद से 10,204 रन बनाए हैं और 25.50 के औसत से 625 विकेट चटकाए।
मदन लाल को कंजूस गेंदबाज माना जाता है। वह गेंदबाजी करते हुए काफी कम रन देते थे और लगातार मेडन फेंका करते थे। इस कारण कमेंटेटर उन्हें मेडन लाल भी कहा करते थे। मदन लाल ने 1968 से 1972 तक पंजाब क्रिकेट टीम के लिए रणजी खेला। इसके बाद 1972 से लेकर क्रिकेट छोड़ने (1989) तक लगातार अठारह साल दिल्ली क्रिकेट टीम की ओर से खेले।