नवाब मंसूर अली खान के पिता इफ्तेखार अली खान पटौदी का जन्म 16 मार्च 1910 को हुआ था और उनकी मौत महज 41 साल की उम्र में अपने बेटे और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी के 11वें जन्मदिन पर पोलो खेलने दौरान पांच जनवरी 1952 को हॉर्ट अटैक के कारण हो गई थी। सीनियर पटौदी ने अपने करियर में छह टेस्ट खेले।
टीम इंडिया के कप्तान भी रहे
पटौदी सीनियर ने 1932 से 1934 तक इंग्लैंड के लिए तीन टैस्ट मैच खेला। इसकी पांच पारियों में उन्होंने 28.8 के औसत से 144 रन बनाए। उन्होंने अपने पहले ही टेस्ट में शतक लगाया। वहीं बाद भारत के लिए उन्होंने 1946 में तीन टेस्ट मैच खेला। इनमें वह महज 11 की औसत से कुल 55 रन ही बना सके। बता दें कि सीनियर पटौदी ने भारत के लिए जितने भी मैच खेले, वह बतौर कप्तान खेलें। स्वास्थ्य कारणों से वह आगे क्रिकेट जारी नहीं रख पाए।
मशहूर बॉडी लाइन सीरीज में किया था डेब्यू
बॉडी लाइन सीरीज तो आपको याद होगी। यह वह सीरीज थी, जिसमें इंग्लैंड की टीम का नेतृत्व डगलस जार्डिन कर रहे थे और उन्होंने विश्व के महानतम बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रैडमैन को रोकने के लिए गेंद को शरीर पर फेंकने की नीति अपनाई थी। सीनियर पटौदी ने इसी सीरीज में डेब्यू किया था और पहले ही टेस्ट में शतक लगाया था, लेकिन वह कप्तान जार्डिन की बॉडी लाइन नीति से सहमत नहीं थे। वह उन पहले व्यक्तियों में शामिल थे, जिन्होंने बॉडी लाइन नीति का विरोध किया था। इस नीति के विरोध में उन्होंने वह सीरीज छोड़ दी। इस कारण शतक लगाने के बावजूद वह इस सीरीज के बाकी के मैचों में नहीं खेल पाए। बता दें कि बाद में बॉडी लाइन नीति के कारण इंग्लैंड के कप्तान डगलस जार्डिन की विश्व व्यापी आलोचना हुई थी।
सीनियर पटौदी के नाम लॉर्ड्स में नाबाद 231 रन की रिकॉर्ड पारी भी है। वह बेहतरीन स्ट्रोक प्लेयर माने जाते थे। उन्होंने एमसीसी, ऑक्सफोर्ड और वॉरसेस्टरशर की ओर से खेलते हुए 48.61 की औसत से 127 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच में 8750 रन बनाए। उनके नाम 29 शतक भी है।
इफ्तिखार अली पटौदी सिर्फ बेहतरीन क्रिकेटर ही नहीं थे। वह पोलो और हॉकी के भी अच्छे खिलाड़ी थे।