इस लिए लिया जा रहा है ये फैसला
आईसीसी ऐसा इस लिए कर रहा है ताकि दोनों टीमों में से कोई भी टीम फायदे में न रहे। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘टेस्ट क्रिकेट से मूल रूप से जुड़े टॉस को खत्म किया जा सकता है। आईसीसी इस नियम को टेस्ट चैंपियनशिप से पहले लागू करना चाहता है ताकि मेजबान टीम को घरेलू मैदानों से मिलने वाले फायदे को कम किया जा सके। अब मेहमान टीम तय करेगी के उससे पहले क्या करना है। ऐसा इस लिए किया गया है क्योंकी आईसीसी को टेस्ट पिचों की तैयारियों में घरेलू टीमों के हस्तक्षेप के वर्तमान स्तर को लेकर गंभीर चिंता है और समिति के एक से अधिक सदस्यों का मानना है कि प्रत्येक मैच में मेहमान टीम को टॉस पर फैसला करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। बता दें 1877 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेले गए इतिहास के पहले टेस्ट से लेकर अब तक टॉस हर टेस्ट मैच की परंपरा का हिस्सा रहा है। ऐसे में आईसीसी लिए जा रहे इस फैसले से बहुत से पूर्व क्रिकेटर खुश नहीं हैं।
कुछ दिग्गज नाराज़ तो कुछ समर्थन में
इस नियम का कुछ दिग्गजों ने समर्थन भी किया है वहीं कुछ इस फैसले से नाराज़ हैं। भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज गेंदबाज बिशन सिंह बेदी का कहना है के ‘सबसे पहले तो मैं यह जानना चाहता हूं कि एक सदी से भी अधिक पुरानी टॉस की इस परंपरा को खत्म करने का औचित्य ही क्या है? वहीं एक और कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने नाराज़गी जताते हुए कहा है के ‘इस खेल के साथ पहले ही बहुत छेड़छाड़ हो चुकी है अब और अधिक करने की जरूरत नहीं है। अगर घरेलू टीम के अपने माकूल पिच बनाने के मसले पर ही टॉस को खत्म किया जा रहा है तो फिर इस परेशानी का निदान तो तटस्थ क्यूरेटर को नियुक्त करके किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग, स्टीव वॉ व वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग ने इस फैसले का समर्थन किया है किया है।
अगर ऐसा होता है तो ये क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ा फैसला होगा। इस फैसले के बाद देखना होगा के टेस्ट क्रिकेट में कितना बदलाव आता है। अभी तक डे-नाईट टेस्ट के अलाव टेस्ट क्रिकेट से कोई भी छेड़खानी नहीं की गयी है।