अनिल कुंबले की अगुवाई में आईसीसी क्रिकेट कमेटी ने यह फैसला आईसीसी की मेडिकल एडवाइजरी कमेटी के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद लिया। इस बैठक में मेडिकल एडवायजरी कमेटी के डॉक्टर पीटर हारकोर्ट भी शामिल हुए थे। हारकोर्ट ने बताया की गेंद पर थूक के इस्तेमाल से कोरोना वायरस ही नहीं, अन्य तरह के वायरस फैलने का भी खतरा है। उनकी सिफारिश के बाद क्रिकेट कमेटी ने थूक पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। वहीं गेंद को पसीने से चमकाने पर किसी तरह की रोक-टोक नहीं रहेगी। गेंदबाज पहले की तरह पसीने से गेंद को चमका सकेंगे। मेडिकल टीम ने माना कि पसीने से वायरस फैलने का कोई खतरा नहीं है। इसके साथ ही आईसीसी ने मैदान पर ज्यादा साफ-सफाई रखने की भी सलाह दी।
घरेलू अंपायरों को मिलेगी प्राथमिकता
फिलहाल ज्यादातर देशों में या तो यात्रा संबंधी रोक है या फिर दूसरी परेशानियां हैं। इसके मद्देनजर कमेटी ने घरेलू अंपायरों की भी सिफारिश की है। हालांकि, ये अंपायर भी आईसीसी की ओर से ही तय किए जाएंगे।
बता दें आईसीसी ने 2002 में यह नियम बनाया था कि आपस में भिड़ रही टीमों के लिए न्यूट्रल अंपायर और रेफरी तैनात किए जाएंगे। अब इस नियम में कुछ समय के लिए बदलाव नजर आ सकता है। अभी तक टेस्ट मैच में तीन और वनडे में दो तटस्थ देशों के अंपायर रहते हैं। अंपायरिंग का स्तर बरकरार रखने के लिए डीआरएस की संख्या बढ़ाने की भी सिफारिश क्रिकेट कमेटी ने की है।
कुंबले बोले, यह अंतरिम उपाय है
आईसीसी क्रिकेट कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुंबले ने इस बैठक में कहा कि हम असाधारण समय से गुजर रहे हैं। समिति ने जो सिफारिशें की हैं, वह अंतरिम है। इससे हम सुरक्षित तरीके से क्रिकेट को फिर से शुरू कर सकेंगे। यह खेल और उससे जुड़े लोगों को भी सुरक्षित रखेगा। इन सिफारिशों को जून में होने वाली चीफ एग्जीक्यूटिव्स की मीटिंग में रखा जाएगा। वह इन पर अंतिम निर्णय करेगी।