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झीलों को मिला हाईकोर्ट से इंसाफ, अब जनता को चाहिए राहत

locationउदयपुरPublished: Aug 25, 2016 01:20:00 pm

Submitted by:

madhulika singh

हाईकोर्ट से झीलों की अवमानना याचिका निस्तारित, अब विवाद होने पर लगानी होगी नई याचिका

शहर की झीलों के लिए पूर्व में लागू निर्माण निषिद्ध क्षेत्र के दौरान वर्ष 2010 में दायर राजेन्द्र राजदान बनाम राज्य सरकार की अवमानना याचिका की हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूर्ण कर निस्तारण कर दिया। अदालत ने भविष्य में विवाद होने पर नई याचिका दायर करने, सरकारी एजेंसियों को आगे की कार्रवाई भवन विनियम 2013 के तहत करने को पाबंद किया। याचिका तत्कालीन अफसरों के खिलाफ नामजद थी।
इसके साथ सबने राहत की सांस ली। हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पर बुधवार को डेढ़ घंटे सुनवाई हुई। पूर्व में जहां महा अधिवक्ता एनएम लोढ़ा ने पैरवी की थी तो बुधवार को यूआईटी की ओर से दिलीप कावडि़या, नगर निगम की ओर से अनुराग शुक्ला ने जवाब पेश किए। वर्ष 2007 की मूल याचिका आदेश की पालना नहीं होने पर अवमानना याचिका दायर की गई थी। मूल याचिका के आदेश में बताए बिंदुओं पर पालना करने की यूआईटी और निगम ने रिपोर्ट पेश की। 
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इसमें कहा कि सुप्रीम कोर्ट से नए अधिसूचित हो चुके भवन विनियम 2013 के तहत कार्रवाई के आदेश हुए हैं। लिहाजा अवमानना याचिका चलने योग्य नहीं है। नए भवन विनियम 2013 के तहत सरकार ने झीलों के परिक्षेत्र को विभिन्न जोन में बांटकर उसकी रुलिंग बना दी है। आगे काम करने की एजेंसियां पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश कर चुकी है। अदालत में यूआईटी सचिव रामनिवास मेहता, एनएलसीपी के टीम लीडर बीएल कोठारी की तैयार पालना रिपोर्ट पेश की गई। मुख्य न्यायाधीश नवीन सिन्हा और न्यायाधीश पंकज भण्डारी ने भवन विनियम 2013 के तहत कार्रवाई का आदेश दिया।
सीएस से सचिव तक के नाम

तत्कालीन मुख्य सचिव टी. श्रीनिवासन

तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव रुक्मणी हल्दिया

तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव जीएस संधू

एनएलसीपी के तत्कालीन निदेशक एमएस दलवानी

तत्कालीन संभागीय आयुक्त अपर्णा अरोड़ा
तत्कालीन जिला कलक्टर आनंदकुमार

तत्कालीन यूआईटी सचिव डॉ. आरपी शर्मा

तत्कालीन आरओ प्रदूषण नियंत्रण मण्डल वीएस ब्रजवासी

तत्कालीन आयुक्त नगर निगम बालमुकुंद असावा

तत्कालीन एक्सईएन, सिंचाई विभाग सुधीर माथुर

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यह पेश की पालना

– झील विकास प्राधिकरण का गठन हो चुका

– झीलों के संरक्षण, सुरक्षा, विकास के लिए जिला स्तरीय कमेटी बन गई

– सौंदर्य और विकास के काम हो चुके, वहीं कार्रवाई चल रही है
– भवन विनियम 2013 लागू हो चुका, जिसके अनुसार कार्रवाई होगी

– झीलों का सीमांकन किया जा चुका

– झीलों से पूर्व में डी-सिल्टिंग आदि कराई जा चुकी

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