कोच्चि या तिरुवनन्तपुरम में हों सकते हैं मैच
अगर ऐसा होता है तो 2 साल बाद भी चेन्नई फैंस अपनी टीम को होम में खेलता नहीं देख पाएंगे। बता दें चेन्नई सुपरकिंग्स ने दो साल बाद धमाकेदार वापसी करते हुए पहले मैच में गत चैंपियन मुंबई इंडियंस और दूसरे मैच में कोलकाता नाईट राइडर्स को हराया है। केरल क्रिकेट संघ के प्रमुख जयेश जॉर्ज ने रविवार को मीडिया से कहा कि मैचों के इन बदलावों को लेकर पहले ही बातचीत शुरू हो चुकी है।
चेन्नई सुपर किग्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा
जॉर्ज ने कहा, “चेन्नई सुपर किग्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के.एस. विश्वनाथन ने इस बारे में कल रात मुझसे बात की थी और आज बीसीसीआई और आईपीएल के वरिष्ठ अधिकारियों अमिताभ चौधरी और राजीव शुक्ला ने भी मुझसे बात की है।” जॉर्ज ने कहा, “हमने आईपीएल के मैचों को तिरुवनंतपुरम और कोच्चि में आयोजित कराने की इच्छा जताई है। अगले कुछ दिन में वे हमें इस बारे में बताएंगे।” अगर केरल को आईपीएल मैचों की मेजबानी सौंपी जाती है तो कोच्चि मैचों की मेजबानी के लिए सही स्थान हो सकता है। कोच्चि 2011 में कोच्चि टस्कर्स का घरेलू मैदान था।
राजीव शुक्ला ने केंद्रीय गृह सचिव से की थी बात
इस से पहले आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने चेन्नई में होने वाले मैचों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव से मुलाकात की थी। चेन्नई में कावेरी नदी के जल वितरण को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है और आम जनता प्रदर्शन कर रही है। ऐसे में शुक्ला ने गृह सचिव से मिलकर केंद्र से इस मामले में दखल देने की अपील की है।
मैच से पहले किया था प्रदर्शन
इतना ही नहीं मंगलवार को मैच से ठीक पहले मैच का विरोध कर रहे कुछ संगठन के सदस्यों को पुलिस ने यहां हिरासत में लिया था। विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रदर्शनकारी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) और कावेरी जल नियामक समिति (सीडब्ल्यूआरसी) का गठन नहीं करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।
टी-20 मैच के आयोजन को रद्द करने की मांग की थी
कई तमिल संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने कावेरी विवाद को लेकर शहर में टी-20 मैच के आयोजन को रद्द करने की मांग की थी। सर्वोच्च अदालत ने 16 फरवरी को अपने आदेश में कवेरी नदी से तमिलनाडु को मिलने वाले हिस्से को घटा दिया था। वहीं सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को छह सप्ताह के भीतर सीएमबी के गठन के आदेश दिए थे। इसकी समय सीमा 29 मार्च को खत्म हो गई। अदालत ने अब सरकार से तीन मई तक रोडमैप मांगा है।