कहा- पांच-सात सालों में चीजें बदलीं
मोहम्मद शमी ने कहा कि अगर आप पिछले 20-30 सालों का भारतीय क्रिकेट का इतिहास देखेंगे तो पाएंगे कि टीम इंडिया में बल्लेबाजों का दबदबा रहा है। लेकिन इसके लिए गेंदबाजों को दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि पहले जो विकेटें बनाई जाती थीं, वह गेंदबाजों की मददगार नहीं होती थी। पिछले पांच-सात साल में चीजें बदलनी शुरू हुई। ईमानदारी से कहूं तो इसमें एक प्रक्रिया का पालन हुआ। एक रात में यह संभव नहीं हुआ। अब हम एक ईकाई के तौर पर काम कर रहे हैं। इससे हमें मदद मिल रही है।
हमारे गेंदबाजों में कौशल और तेजी दोनों
शमी ने कहा कि अच्छी बात यह है कि विविधता वाले गेंदबाजी आक्रमण में कौशल के साथ पेस भी है। इन दोनों का एक साथ होना हमारे तेज गेंदबाजी आक्रमण की खास पहचान है। यह एक सपने के सच होने जैसा है। उन्हें इस बात पर गर्व है कि लोग अब हमारे तेज गेंदबाजों की भी बातें करते हैं। यह चीज पहले कम ही सुनी जाती थीं। लेकिन अब यह हमारी ताकत है।
चोट से बचने के लिए शमी रहे लगातार फिजियो के संपर्क में
तेज गेंदबाजों के साथ सबसे बड़ी समस्या चोट की होती है। आईपीएल के दौरान तेज गेंदबाजों के वर्कलोड मैनेजमेंट पर काफी चर्चा हुई। इस पर बात करते हुए शमी ने कहा कि इसीलिए वह पूरे आईपीएल के दौरान राष्ट्रीय टीम के फिजियो पैट्रिक फरहार्ट संपर्क में रहे। उन्होंने कहा कि इसीलिए वह लगातार फिजियों के संपर्क में थे और जो महसूस कर रहे थे वह उन्हें ईमानदारी से बता रहे थे। किसी भी टीम को एक खिलाड़ी के कारण भुगतना नहीं चाहिए। इसलिए यह जरूरी है कि डॉक्टर के साथ पूरी पारदर्शिता रखें, ताकि उन्हें पता रहे कि आपका शरीर किस तरह से काम कर रहा है।
आस्ट्रेलिया दौरे से मिला आत्म विश्वास
मोहम्मद शमी को आस्ट्रेलिया दौरे से पहले तक टेस्ट गेंदबाज के रूप में देखा जाता था, लेकिन हाल-फिलहाल में उन्होंने वनडे में भी अच्छा किया है। इस पर वह कहते हैं कि वह काफी दिनों से सीमित ओवरों की क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन उन्हें आस्ट्रेलिया सीरीज से आत्मविश्वास हासिल हुआ। इसे उन्होंने आईपीएल में भी जारी रखा। वह बस मौके का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सफेद गेंद से उनका रिकार्ड अच्छा है। पिछले दो साल से उनके दिमाग में यही चल रहा था कि जब उन्हें मौका मिलेगा तो उसे किस तरह से भुनाना है। वह यह दिखाना चाहते थे कि वह क्या कर सकते हैं।