38 साल के महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि वह समस्याओं का जाल बुनने में नहीं, बल्कि उनका समाधान ढूंढ़ने में यकीन रखते हैं और यह उनके लिए कारगर साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि भावनाओं में बहने के बजाय यह अधिक अहम है कि इस परिस्थिति में अभी क्या करना चाहिए। अब आगे क्या हो सकता है, जिसकी योजना बनाई जा सकती है। वह अगला व्यक्ति कौन हो सकता है, जिसका उपयोग कर इस स्थिति से निकला जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार जब वह यह सोचने लगते हैं तो फिर वह अपनी भावनाओं पर बेहतर तरीके से नियंत्रण कर लेते हैं।
प्रक्रिया है महत्वपूर्ण
महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि परिणाम अहम नहीं होते। अहम प्रक्रिया होती है। अपनी कप्तानी के दौरान उनका हमेशा इसी बात पर जोर रहा। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे अगर टेस्ट मैच है तो आपके पास दो पारियां हैं। अपनी अगली रणनीति तैयार करने के लिए आपके पास अधिक वक्त होता है, लेकिन टी-20 में सब कुछ तुरत-फुरत में होता है। इसलिए दोनों में अलग तरीके से सोचने की जरूरत होती है। हार के लिए जिम्मेदार कारणों के बारे में उन्होंने कहा कि वह एक खिलाड़ी हो सकता है, जिसने गलती की हो या फिर पूरी टीम हो सकती है। यह भी हो सकता है कि प्रारूप चाहे कोई भी हो रणनीति पर अच्छी तरह से अमल नहीं किया गया हो।
महेंद्र सिंह धोनी ने आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2019 के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से ब्रेक ले रखा है। इस दौरान वह विंडीज दौरे पर नहीं गए। दक्षिण अफ्रीका सीरीज से भी खुद को दूर रखा और इसके बाद होने वाले बांग्लादेश सीरीज में भी वह नहीं खेलेंगे। इस बीच काफी लंबे समय से उनके संन्यास को लेकर कयास लग रहे हैं। लेकिन आज भी इस मुद्दे पर उन्होंने चुप्पी साधे रखा। इस बारे में कोई बात नहीं की।