इस मैच में कप्तान विराट कोहली ने शुरूआती झटकों से उबर कर केदार जाधव (63) के साथ टीम को जीत के करीब पहुंचाया। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 109 रन जोड़े। जब टीम को जीत के लिए 2 रन चाहिए थे तब जाधव को हसरंगा ने चलता किया। विराट 116 गेंदों में 9 चौकों की मदद से 110 रन बनाकर तथा धोनी 1 रन बनाकर नाबाद रहे।
इस बीच मैच के आखिरी क्षणों में कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी क्रिकेट फैंस को अपने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर एक बार फिर से गर्व करने का मौका दे दिया। दरअसल जिस वक्त टीम इंडिया जीत से सिर्फ क्षणिक दूर थी और पारी का 47वां ओवर चल रहा था। केदार जाधव कप्तान विराट कोहली के साथ शतकीय साझेदारी निभाने के बाद आउट होकर पविलियन लौट गए। भारत को जीत के लिए केवल 2 रनों की दरकार थी।
ऐसे में धोनी बल्लेबाजी करने आए। स्टेडियम और टीवी पर टकटकी लगाए क्रिकेट फैंस एक बार फिर विश्वकप की उस फीलिंग का अनुमान लगाए बैठे थे जब धोनी ने मलिंगा की गेंद पर लॉन्ग ऑनपर सिक्सर लगा कर भारत को विश्वकप दिलाया था। लेकिन इस बार धोनी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने पहली ही गेंद पर एक रन लेकर लेकर विराट कोहली को स्ट्राइक दे दी और सीरीज में लगातार 4 बार नॉटआउट रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।
क्रिकेट पंडितों की मानें तो कोहली को स्ट्राइक देने के पीछे धोनी की मंशा यही थी कि वह चाहते थे कि शानदार सेंचुरी लगाने वाले कप्तान ही विजयी रन बनाकर सीरीज की समापन करें। धोनी जब नॉन-स्ट्राइकर पर पहुंचे तो वह मुस्कुरा रहे थे। कोहली भी समझ गए कि आखिर धोनी ने उन्हें क्यों स्ट्राइक दी है।