सचिन ने बताया क्यों की थी अनुशंसा
सचिन ने बताया कि जब बीसीसीआइ ने उनसे पूछा कि नए कप्तान के बारे में वह क्या सोचते हैं तो उन्होंने कहा कि वह चोट से परेशान हैं, इसलिए दक्षिण अफ्रीका दौरे पर नहीं जाएंगे। सचिन ने बताया कि वह तब अधिकतर समय स्लिप में ही क्षेत्ररक्षण करते थे, इस कारण धोनी से मैदान पर ज्यादा बातें होती थी। इस दौरान उन्होंने जाना कि धोनी खेल को लेकर क्या सोचता है। क्षेत्ररक्षण की सजावट समेत खेल के कई पहलुओं पर सचिन से उनकी बात होती थी। इसी दौरान उन्होंने धोनी में मैच की स्थिति के आकलन की क्षमता देखी और फिर उन्हें पता चला कि उनके पास शानदार क्रिकेटिया दिमाग है। इसलिए उन्होंने बोर्ड के नाम की सिफारिश की।
हर किसी को मना लेने की क्षमता
सचिन तेंदुलकर ने बताया कि महेंद्र सिंह धोनी में खास बात यह है कि उनमें अपने फैसले से सबको मना लेने की क्षमता है। सचिन ने कहा कि क्रिकेट को लेकर उनकी और धोनी की सोच काफी हद तक मिलती-जुलती है। उन्होंने कहा कि धोनी अपनी किसी भी बात के लिए मना लेते थे। इसका अर्थ है कि हमारी राय एक जैसी हो जाती थी। धोनी की यह खास बात है। सचिन ने कहा कि उन्हें लगा कि हम दोनों एक तरह से सोचते थे और इसलिए उन्होंने धोनी के नाम का सुझाव दिया।
धोनी जब कप्तान बने थे, तब कई सीनियर खिलाड़ी टीम इंडिया में थे। इनमें सचिन, द्रविड़, लक्ष्मण, सहवाग, हरभजन और जहीर खान जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल थे। सचिन से जब पूछा गया कि वह सीनियर खिलाड़ियों को किस तरह साथ लेकर आगे बढ़ते थे तो उन्होंने कहा कि वह सिर्फ अपनी बात कर सकते हैं। सचिन ने कहा कि कप्तान बनने की उनकी कोई इच्छा थी नहीं। वह अपना सौ फीसदी देना और हर मैच जीतना चाहते थे। इसलिए उन्हें जो भी अच्छा लगता था, वह कप्तान को बताते थे। हालांकि अंतिम फैसला कप्तान का होता था, लेकिन उनके काम का बोझ कम करना हमारा फर्ज था। सचिन ने कहा कि जब धोनी कप्तान बने, तब वह 19 साल क्रिकेट खेल चुके थे और अपनी जिम्मेदारी समझते थे।