WTC Final: कब-कहां और कैसे देखें भारत vs न्यूजीलैंड के ऐतिहासिक फाइनल मैच का लाइव टेलीकास्ट और स्ट्रीमिंग
यह मैच इतना आसान नहीं था
तेंदुलकर ने हाल ही मीडिया से कोरोना वायरस से जंग जीतने की पूरी कहानी साझा करते हुए कहा कि यह मैच इतना आसान नहीं था। उन्होंने कहा,’जब एक बॉलर अच्छा स्पैल डालता है तो बल्लेबाज को बैकफुट पर खेलना पड़ता है। मैदान पर बैट्समैन अकेला ही होता है और उसे गेम खेलना होता है, मगर बिना टीम के वह मैदान पर जाकर नहीं खेल सकता है। ठीक वैसे ही कोरोना से रिकवरी के दौरान मेरे साथ मेरी फैमिली थी। दोस्त थे और सबसे खास डॉक्टर्स थे। उन्होंने मेरा बहुत अच्छा ख्याल रखा।
काफी तकलीफों से गुजरना पड़ा
सचिन ने बताया कि जब मुझे सिम्टम्स पता चले तभी मैं आईसोलेट हो गया और रिपोर्ट बाद में आई। यह मेरे लिए अच्छी बात रही। कोविड—19 का कन्फर्म होने के बाद डॉक्टरों ने कहा कि एक सप्ताह तक देखते हैं, अगर जरूरत पड़ी तो हॉस्पिटल में भर्ती होना होगा। उस दौरान मुझे काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा। तबीयत बिगड़ी तो हॉस्पिटल गया। इस दौरान डॉक्टर्स ने जो भी सुझाव दिए उन्हें मैंने स्ट्रीकली फॉलो किया।
कोरोना से मैच मुश्किल रहा
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने रिकवरी के बाद के संघर्ष को लेकर बातचीत करते हुए कहा,’जब मैं अस्पताल से घर लौटा तो डॉक्टरों की सलाह पर एक सप्ताह और आइसोलेट रहा। कुल मिलाकर कोरोना के साथ मैच का अनुभव मुश्किल था। साथ ब्लड डोनेशन को लेकर बात करते हुए कहा,’ सचिन ने बताया कि मेरे एक फैमिली मेंबर का बडा ऑपरेशन हुआ था। इस दौरान काफी खून की जरूरत पड़ी थी और हम सभी हैरान थे। एक अनजान व्यक्ति ने ब्लड देकर जान बचाई थी। मैं उनके बारे में नहीं जानता, लेकिन उन्हें शुक्रिया कहना चाहता हूं।
जब एक प्रशंसक ने धोनी पर लगाया सहवाग का कॅरियर बर्बाद करने का आरोप, वीरू ने दिया था ऐसा जवाब
ब्लड डोनेट किया
सचिन ने बताया कि इसके बाद 14 जून को वर्ल्ड ब्लड डोनेशन डे के मौके पर मैंने और मेरी टीम ने ब्लड डोनेट करने का फैसला किया था। बता दें कि सचिन तेंडुलकर रायपुर में रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज में हिस्सा लेने के बाद कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए थे।