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Sandeep Patil बोले, कोरोना काल के बाद वापसी के लिए भारतीय खिलाड़ियों मानसिक रूप से रहना होगा मजबूत

locationनई दिल्लीPublished: Jun 22, 2020 04:00:13 pm

Submitted by:

Mazkoor

Coronavirus महामारी के बाद मार्च से क्रिकेट बंद पड़ा था। अगले महीने से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बायो सेक्योर स्थान पर इंग्लैंड में शुरू होने जा रहा है।

Patil said mental strength can be won by the game

Patil said mental strength can be won by the game

नई दिल्ली : टीम इंडिया (Team India) के पूर्व बल्लेबाज और 1983 विश्व कप विजेता (ICC world cup 1983) भारतीय टीम के सदस्य संदीप पाटिल (Sandeep Patil) ने कहा कि कोविड-19 (Covid-19) महामारी के बीच दोबारा खेल शुरू करने के लिए चोट मुक्त वापसी बड़ी चुनौती है। इसे सुनिश्चित करने के लिए खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत रहना होगा। बता दें कि कोरोनो वायरस (Coronavirus) महामारी के बाद मार्च से क्रिकेट बंद पड़ा था। अगले महीने से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बायो सेक्योर स्थान पर इंग्लैंड में शुरू होने जा रहा है। आठ जुलाई से इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज (England vs West Indies) के बीच जब तीन टेस्ट मैच की सीरीज शुरू होगी। हालांकि हाल-फिलहाल में टीम इंडिया को कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलना है। अगर ऑस्ट्रेलिया में अक्टूबर-नवंबर के मध्य पूर्व निर्धारित टी-20 विश्व कप (T20 World Cup) स्थगित नहीं होती है तो भारत का यह पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर का टूर्नामेंट होगा, नहीं तो दिसंबर में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया से उसके घर मेकं टेस्ट सीरीज खेलेगी। विश्व कप से पहले भारत को ऑस्ट्रेलिया से तीन टी-20 मैच की सीरीज खेलनी है। उसके भी नहीं होने क आसार हैं।

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पाटिल बोले, अनिश्चित समय

टीम इंडिया के पूर्व मुख्य चयनकर्ता रह चुके संदीप पाटिल (Former Chief Selector Sandeep Patil) ने कहा कि यह बहुत अनिश्चित समय हैं। बिना किसी चोट के वापसी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। यह हर खिलाड़ी के लिए एक वास्तविक काम होगा। लेकिन उन्हें याद रखना होगा कि इन सभी चुनौतियों को सबसे पहले दिमाग में जोरदार तरीके से पेश करना होगा।

चोट मुक्त वापसी पर करना होगा काम

केन्या के पूर्व कोच संदीप पाटिल ने कहा कि इसके लिए आपको धीरे-धीरे अपना काम शुरू करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि चोट-मुक्त वापसी की ओर अपना ध्यान मजबूती से लगाएं। पाटिल ने कहा कि केन्या के कोच के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, वह हमेशा किसी भी टूर्नामेंट से पहले मानसिक रूप से मजबूत होने वाले खिलाड़ियों पर अपना ध्यान केंद्रित किया करते थे।

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1983 विश्व कप का दिया उदाहरण

1980 और 1984 के बीच 29 टेस्ट खेलने वाले 63 साल के संदीप पाटिल ने कहा कि भारत ने 1983 के विश्व कप फाइनल मुकाबले में वेस्टइंडीज के खिलाफ जो जीत हासिल की थी, वह मानसिक मजबूती का ही उदाहरण था। पाटिल ने कहा कि मैच ने साबित किया कि मानसिक ताकत कैसे गेम जिता सकती है।

सभी संकल्प लेकर उतरे थे

1983 विश्व कप फाइनल के दौरान जब हम 183 रन पर सीमित हो गए तो हमें लगा कि हम नीचे आ चुके हैं और मैच से बाहर हो चुके हैं। लेकिन दूसरी पारी के लिए मैदान पर कदम रखने से पहले हम सभी ने अपने दिमाग में और एक टीम के रूप में पूरी मजबूती के साथ संकल्प लिया। इसके बाद बाकी जो हुआ, वह इतिहास है! पाटिल ने कहा कि गॉर्डन ग्रीनिज, विवियन रिचर्ड्स को गेंदबाजी करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन क्योंकि हम उस ट्रॉफी पर अपना हाथ रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम यह करने में सक्षम थे। इसलिए न सिर्फ क्रिकेटरों के लिए, बल्कि वह तो यह कहेंगे कि किसी भी खिलाड़ी के लिए मानसिक रूप से परिपक्व होना बहुत महत्वपूर्ण है।

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