साक्षात्कार में छह महीने की ट्रेनिंग का समय दीजिए
बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि अगर उन्हें दो और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सीरीज खेलने को मिलता तो वह और रन बना सकते थे। उन्होंने कहा कि अगर वह नागपुर टेस्ट में संन्यास नहीं लेते तो वह आगे की दो टेस्ट सीरीज में रन बना सकते थे। वह यहीं नहीं रुके। उन्होंने इसके आगे कहा कि अब भी उन्हें ट्रेनिंग के लिए छह महीने दें और तीन रणजी मैच खेलने दीजिए। टेस्ट क्रिकेट में वह भारत के लिए रन बना लेंगे। गांगुली इतने पर भी नहीं रुके। उन्होंने इसके आगे कहा कि उन्हें छह महीने भी नहीं चाहिए। बस बस तीन महीने दीजिए। वह रन बना लेंगे।
बोले, मेरे विश्वास को कैसे तोड़ेंगे
गांगुली ने कहा कि भले आप उन्हें खेलने का मौका न दें, लेकिन उनके भीतर का विश्वास कैसे तोड़ेंगे कि वह खेल सकते हैं? 2007-08 सीजन में गांगुली को वनडे टीम से अचानक बाहर कर दिया गया था। इसे याद कर उन्होंने कहा कि वह अविश्वसनीय था। इस कैलेंडर ईयर में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में वह शामिल थे। इसके बावजूद उन्हें ड्रॉप कर दिया गया था। गांगुली ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितना अच्छा खेलते हैं, लेकिन अगर आप से मंच ही छीन लिया जाए, तो आप साबित कैसे करेंगे और किसे करेंगे? ऐसा ही कुछ उनके साथ हुआ था।
चैपल की कोचिंग में गांगुली की छिनी थी कप्तानी
2005 में ग्रेग चैपल (Gregg Chappell) जब टीम इंडिया के कोच थे, तब उनका सौरव गांगुली से विवाद हो गया था। इस कारण उन्हें पहले कप्तानी से हटाया गया और इसके बाद टीम से भी बाहर कर दिया गया। इसके बाद 2006 में दक्षिण अफ्रीका सीरीज में उन्होंने दमदार वापसी की और इसके बाद काफी रन बनाए। तब सचिन ने तो यहां तक टिप्पणी की थी कि गांगुली का सर्वश्रेष्ठ उन्होंने अब देखा है। इसके बाद 2007-08 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) और गांगुली को वनडे टीम से ड्रॉप पर दिया गया था। इसके एक साल बाद गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। हालांकि वह 2011 तक घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में 2012 तक खेले।
गांगुली ने अपनी कप्तानी में टीम को जीतना सिखाया
सौरव गांगुली ने 113 टेस्ट मैच में 16 शतक की मदद से कुल 7212 रन बनाए। वहीं 311 वनडे में 22 शतक की मदद से 11,363 रन बनाए। वह अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में एक भी टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेल सके। गांगुली को टीम इंडिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में शुमार किया जाता है। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम में यह विश्वास जगाया कि वह विदेशी धरती पर भी जीत सकते हैं।