script1877 से चली आ रही रेड बॉल जैसी नहीं है ये पिंक बॉल, पढ़ें पूरी खबर | The Pink Ball is not like the red ball coming from 1877 read the whole story | Patrika News

1877 से चली आ रही रेड बॉल जैसी नहीं है ये पिंक बॉल, पढ़ें पूरी खबर

locationनई दिल्लीPublished: Aug 18, 2017 08:56:00 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

गुरुवार से इंग्लैंड-वेस्टइंडीज के बीच एजबेस्टन क्रिकेट ग्राउंड पर सीरीज का पहला टेस्ट मैच शुरू हुआ, जो दिन की रोशनी में गुलाबी गेंद से खेला गया।

pink ball

अब रेड की जगह आ गई पिंक बॉल

लंदन: इंग्लैंड क्रिकेट के लिए जो शब्द सबसे ज्यादा मशहूर है, वो है परंपराओं का सख्ती से पालन। यदि आपने हालिया चैंपियंस ट्रॉफी के मुकाबले देखें हो तो याद होगा कि जहां पूरी दुनिया में आज की तारीख में वनडे मैच डे-नाइट आयोजित होते हैं, वहीं इंग्लैंड ने आईसीसी की इस बड़ी ट्रॉफी के मैचों का आयोजन भी दिन की रोशनी में ही किया था। इसके बावजूद इंग्लैंड बदलते वक्त की मांग पहचानकर एक परंपरा बदलने को तैयार हुआ है। गुरुवार से इंग्लैंड-वेस्टइंडीज के बीच एजबेस्टन क्रिकेट ग्राउंड पर सीरीज का पहला टेस्ट मैच शुरू हुआ, जिसमें दिन की रोशनी में पारंपरिक रेड बॉल (लाल गेंद) को छोडक़र दूधिया रोशनी में गुलाबी गेंद (पिंक बॉल) से मैच खेला गया। वर्ष 1877 में शुरू हुई टेस्ट क्रिकेट और उसमें लाल गेंद के प्रयोग के बजाय इस मैच में इस्तेमाल की जा रही गुलाबी गेंद कितनी अलग है, इस पर ‘स्पोर्टसमेल’ ने एक रिसर्च पेश की है। आइए डालते हैं उस पर एक नजर…
थोड़ी अलग और थोड़ी पुरानी जैसी गेंद
– पिंक बॉल को गुलाबी रंग देने के लिए उस पिगमेंट का उपयोग किया जाता है
– इस पिगमेंट पर पॉलिशिंग नहीं करने से ये लाल गेंद के मुकाबले थोड़ी धुंधली दिखाई देती है, जिससे देखने में समस्या होती है
– लाल गेंद की तरह पॉलिश नहीं होने के चलते गेंद उतनी ज्यादा स्विंग भी नहीं करती, जो टेस्ट मैच की गेंदबाजी का असली मजा है
– विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व घरेलू मैचों में पिंक बॉल से खेल चुके क्रिकेटरों का कहना है कि स्विंग के मामले में ये वनडे क्रिकेट की सफेद गेंद जैसी है
– 20 ओवर बाद स्विंग कम हो जाता है, जिससे गेंदबाज के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है और बल्लेबाज हावी हो जाते हैं
– स्विंग तो खत्म होता है, लेकिन गेंद उतनी ज्यादा रफ नहीं होती कि स्पिन को मदद देने के लिए आदर्श मानी जा सके
– लाल गेंद की तरह इसकी सीम हाथ से ही सिलाई वाली होती है, लेकिन ये काले रंग के धागे की होने से बल्लेबाज को आसानी से दिखाई देती है
– बल्लेबाज सीम की दिशा पहचानकर आसानी से स्विंग का अंदाजा लगा लेते हैं, जिससे ज्यादा रन बनने की संभावना है पिंक बॉल पर
– गेंद का अंदरुनी कोर कॉर्क व रबर के मिश्रण से आम लाल गेंद जैसा ही बनाया गया है, जबकि उसके ऊपर आम गेंद की तरह ही कॉर्क की लेयर है
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