वनडे सीरीज के बाद ज्यादा समय नहीं होना
आधुनिक क्रिकेट में अब यह स्थायी समस्या बनती जा रही है कि एक सीरीज में खिलाड़ियों को टी-20, वनडे और टेस्ट सीरीज के बीच ज्यादा समय नहीं मिलता है। वनडे सीरीज खत्म होने के 10 दिन के भीतर भारतीय टीम को टेस्ट मैच खेलने उतरना पड़ा। इस बीच में सिर्फ एक तीन दिवसीय अभ्यास मैच खेलने का मौका मिला। इस वजह से एक टीम के तौर पर वह खुद को इतनी जल्दी ढाल नहीं पाए।
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली वेलिंगटन में टॉस हारे और उन्हें पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी। तेज गेंदबाजों की मददगार पिच और मौसम में टीम इंडिया के बल्लेबाज कीवी टीम के तेज गेंदबाजों के सामने सहज नहीं दिखे और पूरी टीम पहली पारी में 165 रनों पर धारासाई हो गई। अगर टीम इंडिया टॉस जीतती तो इस पिच पर भारतीय तेज गेंदबाज भी कुछ ऐसा ही कहर ढा सकते थे। बता दें कि कप्तान कोहली की टेस्ट में यह 11वीं हार है और वह अपने वही सारे मैच हारे हैं, जिनमें वह टॉस नहीं जीत पाए हैं।
सलामी बल्लेबाजों से अच्छी शुरुआत न मिलना
वनडे सीरीज की ही तरह ही टेस्ट सीरीज में भी मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ की नई सलामी जोड़ी भारत को अच्छी शुरुआत देने में नाकाम रही। पहली पारी में इन दोनों ने पहले विकेट के लिए महज 16 रनों की साझेदारी की तो दूसरी पारी में ये दोनों मिलकर महज 27 रन जोड़ पाए। हालांकि मयंक अग्रवाल ने दोनों पारियों में अच्छी बल्लेबाजी की, लेकिन वह अपनी पारी को लंबी नहीं खींच पाए। पहली पारी में उन्होंने 34 तो दूसरी पारी में 58 रन बनाए।
पूरी भारतीय बल्लेबाजी का न चलना
मयंक अग्रवाल के बाद कुछ हद तक अजिंक्य रहाणे ही ऐसे बल्लेबाज रहे, जिन्होंने दोनों पारियों में विकेट पर टिकने की कोशिश की। रहाणे ने पहली पारी में 46 तो दूसरी में 29 रनों की पारी खेली। उनके अलावा कोई कप्तान विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा जैसे दिग्गज बल्लेबाजों समेत किसी भी भारतीय बल्लेबाज ने दम नहीं दिखाया। कीवी गेंदबाजों के सामने सबने समर्पण कर दिया।
भारत की हार में सबसे अहम भूमिका खुद कप्तान विराट कोहली के फॉर्म ने भी निभाई। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट को मिलाकर वह पिछली 20 पारियों से शतक नहीं बना पाए हैं और महज छह बार 50 पार पहुंचे हैं। उन्होंने अपना आखिरी शतक पिछले साल अक्टूबर में कोलकाता में खेले गए दिन-रात के आखिरी मैच में लगाया था। इसके बाद से वह रनों के लिए तरस रहे हैं।
भारतीय तेज गेंदबाजों का कहर
इसके अलावा कीवी तेज गेंदबाजों ने इस मैच में जान निकाल कर गेंदबाजी की। उन्होंने वेलिंगटन की पिच और तेज गेंदबाजों के लिए मददगार कीवी मौसम का जमकर फायदा उठाया और कीवी तेज तिकड़ी ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी तथा काइली जैमिसन भारतीय बल्लेबाजों पर कहर बनकर टूटे, खासकर टिम साउदी। इन्होंने भारत की दोनों पारियों को मिलाकर भारत के गिरे 20 विकेट में से 9 विकेट अपने नाम किए। वहीं इन तीनों की बात करें तो इन्होंने कुल 20 में से 18 विकेट अपने नाम किए। बोल्ट ने कुल पांच और जैमिसन ने अपने खाते में चार विकेट डाले।
विराट की कप्तानी में चूक
टीम इंडिया पहली पारी में जल्दी आउट होने के बाद कीवी टीम के सात विकेट 225 रनों पर गिरा चुकी थी। वह कीवी टीम की पहली पारी को 250 के भीतर निबटा देती तो कीवी टीम को 183 रनों की विशाल बढ़त नहीं मिलती। लेकिन इसके बाद भारत ने जब कीवी पारी में दूसरी बार नई गेंद ली तो उसने भारतीय तेज गेंदबाजों से लंबा स्पेल नहीं करवाया, जबकि यह विकेट तेज गेंदबाजों को मदद कर रही थी। नई गेंद से तेज गेंदबाजों की जोड़ी से चार ओवर फेंकवाने के बाद कप्तान कोहली ने एक तरफ से आर अश्विन को लगा दिया। इसका फायदा उठाकर कीवी टीम के पुछल्ले बल्लेबाजों ने 123 रन और जोड़ दिए, जो मैच में निर्णायक साबित हुआ।