धोनी का डेटा हुआ था लीक –
साल 2017 में मार्च 2017 में सरकार के कुछ लोग माही के घर रांची में जाकर उनके आधार से जुड़ी चीजें अपडेट कर रहे थे। सरकार ने इसका प्रचार ट्विटर पर ट्वीट कर किया। इस दौरान ट्वीट करते वक़्त गलती से आईटी मिनिस्ट्री के लोगों ने धोनी का फॉर्म भी पोस्ट कर दिया। जिसके बाद उनका आधार नंबर वायरल हो गया। इस मामले में आपत्ति जताते हुए उनकी पत्नी साक्षी ने सवाल उठाए थे। साक्षी ने कहा कि प्राइवेसी नाम की कोई चीज है या नहीं? आवेदन सहित आधार कार्ड का विवरण सार्वजनिक कर दिया गया है। जनवरी में अंग्रेजी अखबार, द ट्रिब्यून की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपये में ये सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया। इसके बाद 300 रुपये अधिक देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया। इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था। हालांकि, UIDAI ने आधार डेटा लीक की बात को गलत बताया था। साथ ही इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई थी।
5 जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनाया फैसला –
बता दें बुधवार को जस्टिस सीकरी ने आधार पर ऐतिहासिक फैसले पढ़ते हुए बताया कि आधार और दूसरे पहचान पत्रों में मौलिक अंतर है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों आधार सबसे अधिक चर्चा में रहने वाला विषय बना है। जस्टिस सीकरी ने आधार पर सवाल उठाने को संविधान के खिलाफ बताया है। आपको बता दें कि इसकी अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुनाया है। इस पीठ में जस्टिस सीकरी, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एम खानविलकर शामिल हैं।