32 हफ्ते बाद पता चला प्रेग्नेंसी का
जब चंडीगढ़ में यह रेप का मामला सामने आया था तो उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था कि कैसे कोई मामा अपनी भांजी का रेप कर सकता है। हालांकि पहले पीड़िता ने अपने साथ हुई मामा की हरकत के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था। बच्ची के साथ रेप का मामला उस समय सामने आया था जब उसने पेट दर्द की शिकायत अपने परिजनों से की थी। परिजन उसे अस्पताल लेकर गए तो उसके गर्भवती होने की बात सामने आई। वहीं 10 वर्षीय बच्चे के गर्भवती होने पर खुद डॉक्टर हक्के-बक्के रह गए थे। तब तक काफी देर हो चुकी थी, गर्भ 32 हफ्ते का हो चुका था।
जब चंडीगढ़ में यह रेप का मामला सामने आया था तो उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था कि कैसे कोई मामा अपनी भांजी का रेप कर सकता है। हालांकि पहले पीड़िता ने अपने साथ हुई मामा की हरकत के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था। बच्ची के साथ रेप का मामला उस समय सामने आया था जब उसने पेट दर्द की शिकायत अपने परिजनों से की थी। परिजन उसे अस्पताल लेकर गए तो उसके गर्भवती होने की बात सामने आई। वहीं 10 वर्षीय बच्चे के गर्भवती होने पर खुद डॉक्टर हक्के-बक्के रह गए थे। तब तक काफी देर हो चुकी थी, गर्भ 32 हफ्ते का हो चुका था।
सुप्रीम कोर्ट में गर्भपात कराने कि की थी अपील
पीड़िता के मां बाप बच्ची का गर्भपात कराना चाहते थे लेकिन सरकार के नियमों के हिसाब से 20 हफ्ते से ज्यादा गर्भ को खत्म नहीं किया जा सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उनका निवेदन मानने से इनकार कर दिया था कि बच्ची की सेहत को खतरा हो सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र को हर राज्य में एक स्थायी मेडिकल बोर्ड का गठन करना चाहिए ताकि ऐसे मामलों में तत्काल फ़ैसला लिया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद यह फ़ैसला दिया था। .
पीड़िता के मां बाप बच्ची का गर्भपात कराना चाहते थे लेकिन सरकार के नियमों के हिसाब से 20 हफ्ते से ज्यादा गर्भ को खत्म नहीं किया जा सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उनका निवेदन मानने से इनकार कर दिया था कि बच्ची की सेहत को खतरा हो सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र को हर राज्य में एक स्थायी मेडिकल बोर्ड का गठन करना चाहिए ताकि ऐसे मामलों में तत्काल फ़ैसला लिया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद यह फ़ैसला दिया था। .