मौत की अहम वजह है वेंटिलेटर की कमी हालांकि अपना बचाव करते हुए जगदले ने आगे कहा कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातक को तब हॉस्पिटल लाया गया था, जब उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। हॉस्पिटल द्वारा किसी तरह की लापरवाही नहीं की गई है। हॉस्पिटल में वेंटिलेटर की कमीपरिजनों का आरोप है कि हॉस्पिटल में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर समेत कई जरुरी चिकित्सक सामान मौजूद नहीं है, जिस वजह से बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा। मामले का खुलासा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता एजाज पठान का कहना है कि नासिक जिला हॉस्पिटल में नवजात बच्चों के लिए लगाए जाने वाला वेंटिलेटर नहीं है। वहीं इसी हॉस्पिटल के एक अन्य डॉक्टर ने भी कहा कि बच्चों की मौत की अहम वजह है वेंटिलेटर की कमी। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेटर नहीं है। स्वास्थ्य
मंत्री ने किया बचावसुरेश जगदले ने आगे कहा कि हॉस्पिटल में 18 इनक्यूबेटर है, जो आवश्कता से कम है। कभी कभी बच्चों की संख्या बढऩे पर तीन-तीन बच्चों को एक ही इनक्यूबेटर में रखना पड़ता है। वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दीपक सांवत ने कहा कि जिन बच्चों की मौत हुई है उन्हें लास्ट स्टेज में हॉस्पिटल लाया गया था। गोरखपुर में हुई थी 30 बच्चों की मौतबता दें कि अगस्त महीने में ही यूपी के गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से 30 बच्चों की मौत हो गई थी। आंकड़ा धीरे-धीरे 60 पार कर गया। बताया गया कि बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली कंपनी ने बकाया नहीं चुकाने पर हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी थी।