फर्जी नामों का हुआ इस्तेमाल
आयकर विभाग ने 5 मामलों में 150 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति जब्त की है। एक केस में ये सामने आया है कि रियल स्टेट कंपनी ने 50 एकड़ जमीन हासिल की, जिसकी कीमत 110 करोड़ रुपए थी, लेकिन इसके लिए कंपनी ने फर्जी नामों यानी बेनामीदारों के नाम का इस्तेमाल किया।
39 करोड़ की पुराने नोट जमा किए गए
एक और मामले में दो लोगों ने नोटबंदी के बाद अपनी कंपनी के कर्मचारी और उससे जुड़े लोगों के बैंक अकाउंट में नोटबंदी से
बाहर हुए पुराने 1000 और 500 के नोट जमा किए गए। जमा की गई कुल रकम 39 करोड़ थी।
सात साल तक जेल और मार्केट वैल्यू का 25 फीसदी जुर्माना
इसमें दोषियों पर 7 साल तक जेल और प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू का 25 फीसदी तक जुर्माना लगाया जाता है।
24 यूनिटें बनाई गईं धर-पकड़ के लिए
आयकर विभाग ने जांच निदेशालय के तहत देशभर में 24 बेनामी प्रोहिबिशन यूनिट्स (बीपीयूएस) बनाए गए हैं ताकि बेनामी प्रॉपर्टी के खिलाफ तेजी से एक्शन लिया जा सके। ये यूनिटें बीते साल मई में बनाई गई थीं।
बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट क्या है?
पहले पहल बेनामी अधिनियम 1988 में आया, पर यह अमल में नहीं आ सका था। अब बेनामीदार यानी दूसरे की प्रॉपर्टी का गलत तरीके से फायदा लेने वाला या ऐसा शख्स जो बेनामी प्रॉपर्टी को छिपाने या हेरफेर करने में शामिल है, उसे बेनामी ट्रांजेक्शन (प्रोहिबिशन) अमेंडमेंट एक्ट, 2016 के तहत सात साल की कैद हो सकती है। इसके अलावा उस पर 25 फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं, एक और प्रावधान के तहत गलत जानकारी देना या जानकारी छिपाना, अफसरों को गुमराह करना भी कानूनन जुर्म होगा। इसके तहत 5 साल की सजा और बेनामी प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू का 10 फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा। बेनामी प्रॉपर्टी सील की जा सकती है या सरकार अपने कब्जे में ले सकती है।
नोटिस की सीमा मेंं हो सकता है इजाफा
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) नोटिस भेजे जाने के बाद कार्रवाई के लिए समयसीमा 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर सकता है।
गुटखा व्यापारी से मिले 20 करोड़ रुपए
दिल्ली में आयकर विभाग ने एक गुटखा व्यापारी के यहां छापा मारा। व्यापारी के ये पैसे एक सेफ डिपॉजिट यू एंड आई वॉल्ट्स
लिमिटेड में जमा थे, जहां पर ज्वैलरी भी मिली। इसमें से 10.5 करोड़ की रकम नकद में थी, जबकि बाकी ज्वैलरी के रूप में थी। इस वॉल्ट से विभाग ने अब तक 61 करोड़ जब्त किए हैं।