मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजासांसी स्थित निरंकारी भवन में रविवार दोपहर सत्संग चल रहा था। इस दौरान परिसर में करीब 250 लोग मौजूद थे। चश्मदीद ने बताया कि बाइक से आए दो युवकों ने ग्रेनेड से हमला किया और वहां से फरार हो गए। ग्रेनेड हमले से विस्फोट के बाद आश्रम में अफरातफरी का माहौल मच गया। लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे। हमले में तीन लोगों की जान चली गई जबकि डेढ़ दर्जन घायल के होने की खबर भी है।
हमला होने के बाद पुलिस ने आननफानन में राहत-बचाव कार्य के साथ जांच अभियान भी शुरू कर दिया। पूरे इलाके की नाकाबंदी कर दी गई। पुलिस ने पड़ोसी राज्यों समेत दिल्ली में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया। जगह-जगह पुलिस तलाशी अभियान चला रही है और नजदीकी अस्पतालों में घायलों का इलाज करवाया जा रहा है। काबिल-ए-गौर है कि भारत-पाकिस्तान सीमा स्थित राजासांसी इलाका काफी संवेदनशील है और यहां पर हर वक्त कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहती है।
वहीं, इस हमले में हैरानी वाली बात यह है कि दो दिन पहले ही राज्य पुलिस को जैश-ए-मोहम्मद के सात आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी। खुफिया एजेंसियों ने राज्य को आगाह किया था। इसके बाद पंजाब पुलिस ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन अंसर गजवत उल हिंद के सरगना जाकिर मूसा के पोस्टर भी जारी कर दिए थे। पंजाब में तमाम स्थानों पर इन पोस्टरों को लगाया गया था। पंजाब पुलिस ने शक जताया था कि मूसा किसी बड़े हमले को अंजाम देने की साजिश रच रहा है।
इससे पहले बीते 5 नवंबर को पंजाब पुलिस ने दो छात्रों को गिरफ्तार किया था। इन दोनों का संबंध भी जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठन गजवत उल हिंद से बताया गया था। इन दोनों छात्रों के तार बीते 14 सितंबर को मकसूदान पुलिस स्टेशन पर हुए ग्रेनेड हमले से थे।
वहीं, रविवार को हुए हमले के बाद पंजाब पुलिस ने घोषणा की कि निरंकारी भवन में हुए ग्रेनेड अटैक में जाकिर मूसा का कोई संबंध नहीं है। घटना के बाद अमृतसर स्थित निरंकारी भवन पहुंचे आईजी (बॉर्डर) सुरिंदर पाल सिंह परमार ने कहा कि सत्संग में शामिल 250 श्रद्धालुओं में से 3 की मौत हो गई जबकि 15-20 घायल हैं। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक दो लोग आए और यहां ग्रेनेड फेंककर फरार हो गए।