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आतंकी फंडिंग का यह जाल कश्मीर सहित पूरे देश में
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के अनुसार ईडी को काली कमाई से बनाई गई किसी भी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है। ऐसे में जल्द ही मस्जिद की संपत्ति जब्त की जा सकती है। बता दें यह मस्जिद पलवल के उत्तरावर जिले में स्थित है। मस्जिद का नाम ‘खुलाफा-ए-रशीदीन’ है। पिछले महीने एनआईए दिल्ली में चल रहे आतंकी फंडिंग केस के आरोप में मस्जिद के इमाम मोहम्मद सलमान सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों से पूछताछ के दौरान पता चला था कि आतंकी फंडिंग का यह जाल सिर्फ कश्मीर तक नहीं फैला है, बल्कि देश के मस्जिदों और मदरसों के जरिए भी कट्टरता फैलाने की साजिश रची जा रही है। पूछताछ के दौरान सलमान ने स्वीकार किया कि आतंकी फंडिंग के पैसे से उसने मस्जिद बनाया। इसके बाद एनआईए ने मस्जिद की तलाशी ली और कई दस्तावेज भी बरामद किए।
आतंकी फंडिंग से बनाई गई संपत्तियां होंगी जब्त
एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जल्द ही केस से जुड़े दस्तावेज ईडी को उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके बाद इस मामले में ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत नया केस दर्ज करेगा। बता दें कि ईडी का काम मुख्य रूप से आतंकी फंडिंग से बनाई गई संपत्तियों का पता लगाकर उसे जब्त करने का होगा।
हाफिस ने की थी मस्जिद के लिए फंडिंग
जानकारी के मुताबिक, एनआईए की जांच में यह सामने आया कि कथित तौर पर सलमान ने पलवल में मस्जिद बनाने के लिए फलाह-ए-इंसानियत (एफआईएफ) से पैसे लिए। इस मामले में एक एनआईए ऑफिसर ने बताया, ‘सलमान जब दुबई में रहता था तब वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े व्यक्ति के संपर्क में आया। इस दौरान उसने एफआईएफ से पैसे लिए। वहीं, मस्जिद बनाने के लिए 70 लाख रुपए एनजीओ ने दिए।’ जांच में यह भी सामने आया कि सलमान की बेटी की शादी के लिए भी पैसे मिले। ऑफिसर ने बताया कि अब हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि मस्जिद बनाने के लिए पैसा कहां-कहां से मिला और इसका उपयोग कैसे हुआ?”
हाफिज के इस संगठन से लिए गए पैसे
गौरतलब है कि आतंकी फंडिंग के आरोप में एनआईए ने सलमान, मोहम्मद सलीम और साजिद अब्दुल वाणी को 26 सितंबर को गिरफ्तार किया था। तीनों पर आरोप था कि इन्होंने लाहौर स्थित फलाह-ए-इंसानियत (एफआईएफ) फाउंडेशन से आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे लिए हैं। बता दें कि मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद फलाह-ए-इंसानियत के माध्यम से आतंकी फंडिंग कर रहा था। फलाह-ए-इंसानियत भी लश्कर-ए-तैयबा का ही संगठन है। इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।