क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि झारखंड के गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी इलाके में एक ही व्यक्ति के नाम पर 50-50 और 100-100 राशन कार्ड जारी किए गए हैं। बता दें कि यह इलाका आदिम जनजाति बहुल क्षेत्र है। यहां पर इन राशन कार्ड धारकों को डाकिया योजना के तहत प्रति माह राशन भी आवंटित किए जाते रहे हैं। विभाग की ऑनलाइन रिपोर्ट भी इसे पुष्ट कर रहा है। हालांकि अब जब इस भ्रष्टाचार का मामला खाद्य, सार्वजनिक वितरण तथा उपभोक्ता मामले विभाग के प्रमुख सरयू राय तक पहुंचा है, तो वे भी इसे देख वे हतप्रभ हैं।
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मंत्री ने दिए जांच के आदेश
आपको बता दें कि जैसी ही इस मामले की जानकारी मंत्री जी को हुई तो फौरन ही सम्यक जांच कराने की जवाबदेही विभाग को सौंप दी। इस बाबत भाग के सचिव डॉ. अमिताभ कौशल ने कहा है कि मंत्री के आदेश पर जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर जांच के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि किसी मिलीभगत से यह काम हुआ है। कौशल ने कहा कि दोषी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि ऑनलाइन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि वामड़ी पहाडिया के नाम पर 99, चांदी पहाडिया के नाम पर 133, सोनी पहाडिया के नाम 73, जामा पहाडिया के नाम 62, मैसी पहाडिया के नाम 70 से अधिक राशनकार्ड जारी है। यह भी बात सामने आई है कि सुंदरपहाड़ी की जनजातियों से जुड़े ऐसे दर्जनों नाम हैं, जिनके विरुद्ध 100-100 से अधिक राशनकार्ड जारी किए गए हैं।
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राशन कार्ड वितरण में है कई खामियां
आपको बता दें कि सरकार दावा करती रही है कि राशन कार्ज वितरण में कोई खामी नहीं है। लेकिन इस मामले के बाद यह साफ हो गया है कि सरकार के दावे और हकिकत में कितना फर्क है। बता दें कि झारखंड की जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) में कई स्तरों पर छेद हैं और इस संबंध में समय-समय पर इस विभाग के मंत्री ने इसे स्वीकार किया है। बता दें कि झारखंड में अभी भी कई इलाकों में ई-पॉस मशीन से राशन का वितरण, गोदामों में इलेक्ट्रानिक तौल मशीन की आपूर्ति नहीं हो पाई है। साथ ही ढुलाई में इस्तेमाल हो रहे वाहनों में जीपीएस भी नहीं लगा होता है। इसका फायदा उठाकर बिचौलिए राशन में हेर-फेर कर लेते हैं। आपको यह भी बता दें कि पीडीएस तंत्र की सख्त निगरानी के लिए पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक सतर्कता एवं निगरानी समिति बनाई गई है। लेकिन इसके बावजूद भी गड़बड़ियों को नहीं रोका जा सकता है। इसके लिए प्रशासनिक अमला को जवाबदेह बनाना ही पड़ेगा।