हालांकि, यह चर्चा का विषय बन गया है कि रातभर में ऐसा कैसे हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय पार्किंग ठेकेदार चंद्रू ने बताया कि शाम तक तो यहां पर कुछ भी नहीं था, लेकिन सुबह जब देखा तो यहां पर प्रतिमा लगी हुई थी। किसी ने भी इस प्रतिमा को लगाते हुए नहीं देखा।
स्थानीय पार्षद प्रेमलता ने इस संबंध में कहा कि उन्हें पता ही नहीं था, जैसे ही जानकारी मिली पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी। यहां ध्यान देने वाली बात है कि बेंगलूरु में सिटी मार्केट एक ऐसा स्थान है जहां पर हरवक्त चहल-पहल बनी रहती है। दिन में कामकाज खत्म होने के बाद जैसे ही इस इलाके में शांति छाने वाली होती है, रात में फूलों का बाजार सजना शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं आंबेडकर प्रतिमा स्थल से केवल 50 मीटर की ही दूरी पर पुलिस स्टेशन भी मौजूद है।
इससे पहले 11 जून 2012 को कर्नाटक सरकार ने आदेश जारी किया था। इस आदेश के मुताबिक किसी भी सरकारी स्थान पर कब्जा करके लोकनायकों की प्रतिमा की स्थापना करने और धार्मिक स्थलों के निर्माण पर पूरी तरह पाबंदी लगाई गई थी।