इस तरह की घटनाओं के पीछे पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही रही। कुछ समय पहले पुलिस का कामकाज का ढर्रा ही बिगड़ गया था। ऊपर से संरक्षण मिलने के कारण कुछ अधिकारी-कर्मचारी तो निरकुंश हो गए थे। अपराधियों से गठजोड़ और भ्रष्टाचार के खुलेआम चर्चे थे। अपराधी तक उनकी मांग और प्रताड़ना के शिकार होने की चर्चा रही। शिकायतों के बावजूद लापरवाह कारिंदों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से आमजन हताश और निराश था। अब जिले में पुलिस महकमे में फेरबदल हुआ है। पुलिस के मुखिया ने हाल ही घटनाओं में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है, लेकिन अब भी कामकाज के ढर्रे में खासे सुधार की जरूरत है। जहां अपराधियों के मन में डर और आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास कायम करना है, वहीं अपने ही महकमे के भ्रष्ट, निरकुंश और लापरवाह कर्मियों के खिलाफ सख्ती की जरूरत है, तभी लोगों में पुलिस का इकबाल बुलन्द हो सकेगा, वरना खाकी वर्दी पर यूं ही दाग लगते रहेंगे।