इस तरह का कृत्य पोक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता। ऐसे मामले के आरोपी के खिलाफ आइपीसी की धारा 354 (शील भंग) के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
पॉक्सो एक्ट के जुर्म से किया था बरी –
न्यायाधीश गनेडीवाला ने एक सत्र अदालत के उस फैसले में संशोधन किया था, जिसमें 12 साल की लड़की के यौन उत्पीडऩ के लिए 39 साल के सतीश को तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। सत्र अदालत ने सजा पोक्सो कानून और धारा 354 के तहत सुनाई थी। हाई कोर्ट ने उसे पॉक्सो कानून के तहत अपराध से बरी कर दिया था। धारा 354 के तहत उसकी सजा बरकरार रखी गई।