scriptगूगल मैप्स से ढूंढ़ता था रईसों के ठिकाने, फिर हवाई जहाज से जाता था हाईटेक चोरी करने | Chennai: Hightech thief uses Google Maps for robbery | Patrika News

गूगल मैप्स से ढूंढ़ता था रईसों के ठिकाने, फिर हवाई जहाज से जाता था हाईटेक चोरी करने

locationनई दिल्लीPublished: Dec 04, 2018 10:06:32 am

एक शातिर चोर गूगल मैप्स का इस्तेमाल करके पॉश इलाकों में रहने वाले रईस लोगों के घरों को टार्गेट बनाता था। काफी लंबी तहकीकात और कार्रवाई के बाद पुलिस ने इस हाईटेक चोर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया।

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गूगल मैप्स से ढूंढ़ता था रईसों के ठिकाने, फिर हवाई जहाज से जाता था हाईटेक चोरी करने

चेन्नई। एक शातिर चोर गूगल मैप्स का इस्तेमाल करके पॉश इलाकों में रहने वाले रईस लोगों के घरों को टार्गेट बनाता था। फिर विमान से उस शहर पहुंचता था और घरों की रेकी करता था। इसके बाद और भी ज्यादा शातिर ढंग से लूट करता था। काफी लंबी तहकीकात और कार्रवाई के बाद पुलिस ने इस हाईटेक चोर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया। हाईटेक लूट का खुलासा तब हुआ जब अपोलो अस्पताल में काम करने वाले नंगमबक्कम के डॉक्टर के घर पर चोरी हुई।
डॉक्टर के घर पर यह चोरी बीते माह हुई। चोर इतना शातिर था कि उसने कोई भी सुराग नहीं छोड़ा। इस चोर ने अपना काम इतनी सफाई से किया था कि काफी कोशिशों के बावजूद पुलिस हाथ मलती रह गई। हालांकि इसी तरह की घटना वैल्लुवर कोट्टम समेत चेन्नई के कई पॉश इलाकों में भी हुई, जहां काफी रईस लोग रहते हैं, लेकिन पुलिस को इन मामलों में भी चोर तक पहुंचने के लिए नाकामी ही मिली।
हाईटेक चोरी
इस बीच आंध्र प्रदेश का एक चोर साथिया रेड्डी तेलंगाना में गिरफ्तार हुआ। हैदराबाद पुलिस ने इसे एक चोरी के मामले में धरा था। पूछताछ के दौरान हैदराबाद पुलिस के उस वक्त होश उड़ गए जब उन्हें पता चला कि साथिया रेड्डी वही शातिर चोर है जिसने नंगमबक्कम और वैल्लुवर कोट्टम में चोरी की थी। सख्ती से पूछताछ के बाद जब साथिया ने अपनी मोडस ऑपरेंडी बताई, तो पुलिसवालों के पैरों तले जमीन खिसक गई।
साथिया ने पुलिस को बताया कि उसने पहले गूगल मैप्स के जरिये चेन्नई के पॉश इलाके ढूंढ़े। फिर वो विमान पकड़कर चेन्नई पहुंचा और अपने चुने गए इलाके को देखा। यहां पर उसने उन घरों पर निशान लगाया जिनमें या तो ताला लगा हुआ था या फिर उनमें रहने वाले दिन का ज्यादातर वक्त घर से बाहर बिताते थे।
इसके बाद पहले से तय अपने कार्यक्रम के हिसाब से उसने निशान लगे घरों को लूट लिया। साथिया घर की खिड़कियां और दरवाजे खोलने के लिए कुछ औजारों का इस्तेमाल करता था और यह ध्यान रखता था कि लूटते वक्त मास्क और ग्लव्स जरूर पहने। इसके चलते पुलिस को न तो फिंगरप्रिंट मिल सकते थे और न ही इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगालने में उसका चेहरा पहचान में आता। काम पूरा होने के बाद वो ट्रेन से वापस अपने ठिकाने पर लौट आता था।
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