पीड़िता ने हाईकोर्ट में दायर याचिक में की ये मांग
– पुलिस अधिकारी उनके मुवक्किल की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर मामले की जांच नहीं कर रही है।
– पुलिस ने मामले में शुरू से लेकर अब तक की जांच के बारे में पीड़िता को अंधेरे में रखा है।
– आरोपी प्रभावशाली व्यक्ति है, ऐसे में वह साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
– मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने के साथ ही जांच पूरी होने तक आरोपियों को जेल में रखने की मांग
– पीड़िता ने हाईकोर्ट से आरोपियों के दो आश्रमों को जब्त करने या अधिकारी नियुक्त कर इन आश्रमों की गतिविधियों पर निगरानी रखने की मांग की है
– महिला की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि अपराध शाखा के पास उतने प्रशासनिक और तकनीकी संसाधन मौजूद नहीं हैं, ऐसे में बेहतर होगा कि इस मामले की जांच सीबीआई को दी जाए।
– हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में पीड़िता ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों पर अपने साथ बदसलूकी का आरोप लगाया है।
पीड़िता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यह मामला जनवरी 2016 से मार्च 2016 के बीच का है। ऐसे में मामले की जांच में तकनीकि और फॉरेंसिक क्षमता जांच के परिणामों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। याचिका में दिल्ली पुलिस पर राजस्थान महिला आयोग की उस निष्कर्ष की अनदेखी करने का आरोप लगाया है कि जिसमें आरोपी के राजस्थान के पाली स्थित आश्रम में अनियमितताएं बरते जाने की शिकायत है।
बिना किसी रिकॉर्ड के रह रहीं 600 लड़कियां
महिला ने आरोप लगाया है कि इस आश्रम में 600 लड़कियां बिना किसी रिकॉर्ड के रह रही हैं। इससे पहले एक गैर सरकारी संगठन दिल्ली सिटिजन फोरम फॉर सिविल राइट्स ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। हालांकि हाईकोर्ट के एकल पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। दिल्ली पुलिस ने महिला की शिकायत पर 11 जून को दाती महराज व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।