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भीमा-कोरेगांव हिंसा: पुलिस ने 3 आरोपियों को किया अरेस्ट, दलित एक्टिविस्ट हैं तीनों

1 जनवरी 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में जातीय हिंसा हुई थी, जिसमें एक दलित व्यक्ति की मौत हो गई थी।

Jun 06, 2018 / 01:02 pm

Kapil Tiwari

Bhima Koregaon violence

Bhima Koregaon violence

पुणे। महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में इसी साल 1 जनवरी को हुई जातीय हिंसा के मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, इस मामले में पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार हुए आरोपियों की पहचान राणा जैकब, वकील सुरेंद्र गडलिंग और सुधीर ढवडे के रूप में हुई है। इनमें से जैकब को दिल्ली से सुरेंद्र को नागपुरि से और सुधीर को गोवंडी से अरेस्ट किया गया है। तीनों के ऊपर विवादास्पद पर्चे बांटने और भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। आपको बता दें कि इससे पहले भी पुलिस इस मामले में तीन नाबिलगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
दिल्ली, मुंबई और नागपुर से हुई गिरफ्तारियां
वहीं हिंसा के आरोपी राणा जैकब को आज पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पुणे पुलिस के साथ ज्वाइंट ऑपेरशन कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है। राना जैकब को पुलिस ने दिल्ली के मुनीरिका स्थित डीडीए फ्लैट से गिरफ्तार किया है। वहीं पुणे पुलिस ने मुंबई और नागपुर से भी हिंसा के 1-1 आरोपी को पकड़ा है।
नक्सलियों से जुड़े हैं एक आरोपी के तार
पुलिस ने बताया है कि राणा जैकब पेशे से लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और उनके तार नक्सलियों से जुड़े हैं। पुलिस ने जैकब विल्सन को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे दो दिन की ट्रांजिट रिमांड पर भेज दिया गया है और 8 जून को पुणे में स्थानीय कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुणे पुलिस ने कोर्ट में कहा कि राणा का नाम एफआईआर में नहीं था, लेकिन 15 अप्रैल को जब उसके घर में छापेमारी हुई थी तब कुछ आपत्तिजनक सामान मिले थे।
1 जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव में हुआ था जातीय संघर्ष
आपको बता दें कि 1 जनवरी को पुणे में दलित समुदाय भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मना रहे थे। इसी दौरान दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हो गई, जिसमें एक दलित व्यक्ति की मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए। इसी घटना के बाद दलित संगठनों ने 2 दिनों तक मुंबई समेत राज्य के अन्य इलाकों में बंद बुलाया जिसके दौरान फिर से तोड़-फोड़ और आगजनी हुई थी।
क्यों मनाया जाता है भीमा-कोरेगांव में जश्न
1 जनवरी 1818 को पुणे के पास कोरेगांव में एक लड़ाई हुई थी। ये लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। इस लड़ाई में अंग्रेज़ों की तरफ से महार जाति के लोगों ने लड़ाई की थी और इन्हीं लोगों की वजह से अंग्रेज़ों की सेना ने पेशवाओं को हरा दिया था। महार जाति के लोग दलित होते हैं। ये लोग इस युद्ध को अपनी जीत और स्वाभिमान के तौर पर देखते हैं और इस जीत का जश्न हर साल मनाते हैं।

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