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कठुआ गैंगरेप केस: फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में खुलासा, मंदिर में हुआ था बच्ची से बलात्कार

locationनई दिल्लीPublished: Apr 20, 2018 10:16:26 am

Submitted by:

Kapil Tiwari

फॉरेंसिक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि मंदिर में ही 8 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप किया गया था। रिपोर्ट में सबूतों को भी सही पाया है।

Kathua Gangrape Reveal

Kathua Gangrape Reveal

नई दिल्ली। कठुआ गैंगरेप केस में एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, इस मामले में दिल्ली की एक फॉरेंसिक रिपोर्ट आई है, जिसमें ये बात कंफर्म हो गई है कि बच्ची के साथ मंदिर के अंदर बलात्कार किया गया था। फॉरेंसिक लैब एफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में तमाम सबूतों की जांच के बाद उन्हें सही पाया है।
फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में खुलासा, मंदिर में हुआ था रेप
रिपोर्ट में इस बात की पुष्ट‍ि हो गई है कि मंदिर के अंदर जो खून के धब्बे मिले थे वो पीड़िता के ही थे। इससे ये पता चलता है कि मंदिर के अंदर ही 8 साल की मासूम से बलात्कार किया गया था। जानकारी के मुताबिक, दिल्ली FSL ने अपनी रिपोर्ट अप्रैल के पहले हफ्ते में ही दी थी। इसके अलावा मंदिर से कुछ बालों का गुच्छा मिला था, जिसकी जांच में ये पता चला है कि वो आरोपी शुभम सांगरा के ही बाल थे।
पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में भी मिला खून
इस रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि पीड़िता के कपड़ों पर मिले खून के धब्बे उसके डीएनए प्रोफाइल से मैच करते हैं, इसके साथ ही पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में भी खून पाए जाने की पुष्टि की है।
चार्जशीट के बाद फिर से उछला मामला
आपको बता दें कि 10 से 17 जनवरी के बीच में कठुआ के रसाना गांव में 8 साल की मासूम से गैंगरेप किया गया था। पिछले कुछ दिनों में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें 4 पुलिसवालों समेत 8 लोगों को आरोपी ठहराया गया है।
एसआईटी को नहीं मिले थे पर्याप्ट सबूत
कठुआ मामले की जांच कर रही जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) को जांच में अड़चन का का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उसे जो सबूत मिले थे, वह आरोपियों को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। आरोपियों ने कथित तौर से कुछ स्थानीय पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर पीड़िता के कपड़े धुले थे ताकि सबूत को नष्ट किया जा सके।
राज्य फॉरेंसिक लैब को भी नहीं मिले थे खून के धब्बे
जम्मू-कश्मीर की फॉरेंसिक लैब भी कपड़ों पर खून के धब्बे तलाशने में नाकामयाब रही थी। इसकी वजह से एसआईटी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर पा रही थी। इसके बाद राज्य के डीजीपी ने गृह मंत्रालय से मदद मांगी थी कि सबूतों की जांच दिल्ली फॉरेसिंक लैब द्वारा की जाए।
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