दरअसल, डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने सोमवार रात बिना अनुमित के आर्ट्स फैकल्टी गेट के सामने वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की प्रतिमाएं स्थापित की थीं। इसके विरोध मेॆं NSUI ने वीर सावरकर की प्रतिमा को जूतों की माला पहनाई और प्रतिमा के मुंह पर कालिख पोती।
इस मामले पर एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव साएमन फारूकी ने कहा कि एबीवीपी ने हमेशा से सावरकर को अपना गुरु माना है। अंग्रेजी हुकूमत के सामने दया की भीख मांगने के बावजूद, एबीवीपी इस विचारधारा को बढ़ावा देना चाहती है।
उन्होंने कहा कि मैं लोगों को याद दिलाना चाहता हूं कि यह वही सावरकर हैं जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और तिरंगा फहराने से इनकार कर दिया था। यह वही सावरकर हैं जिन्होंने मनुस्मृति और हिंदू राष्ट्र की मांग की थी। फारूकी ने यह भी कहा कि सावरकर की तुलना भगत सिंह और सुभाष चंद्र से करना शहीदों का अपमान है। यह एबीवीपी के फर्जी-राष्ट्रवाद का उदाहरण है
वहीं, इस घटना पर डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह का कहना है कि प्रतिमा लगाने के लिए डीयू प्रशासन से कई बार मांग की थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे पहले डूसू नॉर्थ कैंपस का नाम वीर सावरकर के नाम पर रखे जाने की मांग हुई। अब देखना यह है कि इस मामले में किस तरह की कार्रवाई होती है।