दिल्ली हिंसा में शहीद हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत की असल वजह आई सामने, ऑटोप्सी रिपोर्ट में हुआ खुलासा हाई-अलर्ट मंगलवार को दोपहर बाद बिगड़े हालात के बाद जारी किया गया है। दिल्ली पुलिस मुख्यालय में विशेष आयुक्त स्तर के एक अधिकारी ने कहा, “उत्तर-पूर्वी जिले में हालात काबू करने के लिए सोमवार को धारा 144 लागू की गई थी। उम्मीद थी कि धारा 144 के डर से उपद्रवी सड़कों पर निकलकर हिंसा नहीं फैलाएंगे। मगर मंगलवार दोपहर तक धारा 144 भी निष्प्रभावी साबित हो गई। लिहाजा, हिंसाग्रस्त उत्तर-पूर्वी जिले सहित पड़ोस के जिले पूर्वी दिल्ली और शाहदरा जिले में भी सुरक्षा के एहतियाती इंतजाम किए गए। तीनों जिलों में हाई-अलर्ट घोषित कर दिया गया है।”
भीड़ ज्यादा और सुरक्षा बल कम मौजपुर और फिर ब्रह्मपुरी इलाके में मंगलवार सुबह करीब 10 बजे से बलवाइयों से जूझ रहे एक डीसीपी के मुताबिक, “फोर्स पर्याप्त है। इसके बाद भी हाई-अलर्ट लगाने से यह फायदा रहा कि थानों में मौजूद पुलिस फोर्स भी सड़क पर उतर गई है। कुछ मदद तो मिल रही है, मगर हमारी तुलना में भीड़ ज्यादा है। हालांकि, हमारी मदद के लिए अर्धसैनिक बल भी हैं, लेकिन हम सिर्फ भीड़ को काबू करने के उपायों पर ही अमल कर पा रहे हैं। जबकि भीड़ हमें टारगेट करके हमले कर रही है। भीड़ के जब दो पक्ष आमने-सामने आ जा रहे हैं तो पुलिस और अर्धसैनिक बलों को बीच में आना पड़ रहा है। भीड़ के बीच में आ जाने से ही पुलिस और सुरक्षा बलों की स्थिति खराब हो जाती है।”
रिजर्व फोर्स भी की गई तैनात उत्तरी-पूर्वी दिल्ली, शाहदरा और पूर्वी जिला पुलिस लाइंस के सूत्रों ने मंगलवार देर दोपहर बताया, “तीनों ही पुलिस लाइन में मौजूद रिजर्व फोर्स को भी मौके पर रवाना किया जा चुका है। तीनों ही पुलिस लाइन में कहीं हमलावर भीड़ न घुस आए, इसलिए एहतियातन 50-50 हथियारबंद सुरक्षाकर्मी यहां बाकी रखे गए हैं।”
टल सकती थी जाफराबाद में हुई हिंसा और बच सकती थी हेड कॉन्सटेबल की जान अगर दिल्ली पुलिस करती यह पुलिस थानों में तीन-चार पुलिसकर्मी ही बचे जहां तक थानों की स्थिति है तो शाहदरा और उत्तर पूर्वी दिल्ली के थाने में ड्यूटी अफसर, वायरलेस ऑपरेटर और एक अदद संतरी के अलावा कोई पुलिसकर्मी नहीं है। सब के सब हिंसाग्रस्त इलाकों में मय हथियार तैनात कर दिए गए हैं। सड़क पर भीड़ से मोर्चा लेने के लिए भेजे गए पुलिस स्टाफ में काफी स्टाफ मिनिस्टीरियल स्टाफ भी है, जो अमूमन थानों में लिखा-पढ़ी का ही कामकाज देखता है।
कबीर नगर में गोलीबारी उत्तर पूर्वी दिल्ली के कबीर नगर इलाके में मौजूद एक मशहूर छोटी पुलिया को आग के हवाले कर दिया गया। यहां भीड़ के दो गुटों ने आमने-सामने आकर खुलेआम एक दूसरे पर गोलियां चलाईं। भीड़ द्वारा की गई आगजनी और पथराव में कई दुकानों, घरों को भी खासा नुकसान हुआ है। यहां मौजूद दो अस्पताल और एक दवाई की दुकान भी हिंसा की भेंट चढ़ी बताई जाती है।