scriptमानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले बढ़ने से अफसरों के होश उड़े, 9945 मामलों में मुआवजे की मांग | Demand of compensation in the cases of human-wildlife conflict rising | Patrika News
क्राइम

मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले बढ़ने से अफसरों के होश उड़े, 9945 मामलों में मुआवजे की मांग

इन चार महीनों में वन्यजीवों से होने वाली क्षति से मुआवजे के मामलों में सौ-दो सौ नहीं बल्कि एक साथ 4843 मामलों की बढोत्तरी हुई है।

Oct 12, 2017 / 03:28 pm

Mohit sharma

 human-wildlife conflict
देहरादून। अप्रैल से अगस्त-2017 के दौरान इन चार महीनों में वन्यजीवों से होने वाली क्षति से मुआवजे के मामलों में सौ-दो सौ नहीं बल्कि एक साथ 4843 मामलों की बढोत्तरी हुई है। वन विभाग से 9945 मामलों में मुआवजों की मांग की गई है ! यानी मानव-वन्यजीव संघर्ष में मिलने वाले मुआवजे के मामले एकाएक बढ़ गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी पशु और फसल क्षति को लेकर है। इसे लेकर वन मुख्यालय के वित्त एवं नियोजन अनुभाग को गड़बड़ी होने का संदेह है। इस पर वन संरक्षकों से मामले की रिपोर्ट मांगी गई है। गढ़वाल और कुमाऊं मुख्य वन संरक्षकों को भी इन मामलों को गहराई से जांचने के निर्देश दिए गए हैं । वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दोहरी चिंता है कि अगर आंकडे सही हैं तो मानव-वन्यजीव संघर्ष खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रहा है । गलत हैं तो यह मुआवजे का खेल हो सकता है । बात अगर 2015-16 की करें तो बाघ, तेंदुओं के हमले से 3234 भैंस, गाय, बकरी मारे जाने के मामले, हाथी आदि द्वारा 307 हेक्टेयर में फसल नुकसान और 45 मकानों के क्षतिग्रस्त होने का मुआवजा मांगा गया। 2016-17 में पशु क्षति के मामलों में अचानक बढ़ गए। 12 महीने में ही 4943 केस बढ़ गए और 8187 मामलों में मुआवजा मांगा गया। इसके अलावा फसल क्षति के मामलों में भी 186 हेक्टेयर की वृद्धि हुई और 486.34 हेक्टेयर में फसल का नुकसान होने के बाद मुआवजा देने की गुहार लगाई गई। इस साल 66 मकान क्षति के प्रकरणों में राहत राशि देने की मांग की गई।
चार महीने में 1334 हेक्टेयर में वन्यजीवों ने फसलों को नुकसान


2017-अप्रैल से अगस्त के बीच आंकड़ों की बढोत्तरी से तो वन विभाग के अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। इन चार महीनों में ही पशु क्षति के अचानक एक-दो नहीं बल्कि 4843 मामले बढ़ गए। वन विभाग से 9945 मामलों में मुआवजे की मांग की गई है। यही हाल फसल नुकसान को लेकर है। चार महीने में 1334 हेक्टेयर में वन्यजीवों ने फसलों को नुकसान पहुंचाया । हाथियों द्वारा मकानों के क्षतिग्रस्त करने के मामले भी बढ़ गए। इन चार महीनों में ही हाथियों ने 74 मकान को ध्वस्त कर दिया। अचानक मुआवजे के बढ़े मामलों को लेकर वन विभाग के होश उड़ गए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में वन विभाग ने करीब साढ़े पांच करोड़ मुआवजा दिया था। इस बार चार महीने में ही 93 लाख दे चुका है, करीब आठ करोड़ तक और देना पड़ सकता है। वन मुख्यालय को संदेह है कि कई मामले संदिग्ध हैं। इसके बाद मुख्यालय ने वन संरक्षकों के अधीन बनने वाली समितियों को मुआवजे के मामलों की जांच करने को कहा है। इसके अलावा जांच रिपोर्ट और सुझावों को भी मुख्यालय जल्द भेजने का निर्देश दिया है। वन संरक्षकों के अधीन बनने वाली टीम सही काम कर रही है, उस पर भी नजर रखने की व्यवस्था की गई है। मुख्य वन संरक्षकों को वन संरक्षकों के अधीन बनी समिति के कामकाज पर नजर रखने और रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। विभागीय अधिकारियों को आशंका है कि मामले की जांच सही तरीके से हुई तो कई फर्जी मामलों का खुलासा हो सकता है।
मुआवजे की मांग

इस संबंध में प्रमुख वन संरक्षक वित्त एवं नियोजन गंभीर सिंह कहते हैं कि अचानक फसल क्षति, पशु क्षति और मकान ध्वस्त होने के मामले काफी बढ़ गए हैं। पहली नजर में यह बढ़ोत्तरी स्वाभाविक नहीं लग रही है। डीएफओ स्तर से मुआवजे की मांग की जाती है, उसकी गहनता से जांच करने को वन संरक्षकों के निर्देशन में बनी कमेटी को कहा गया है, अब उनकी रिपोर्ट पर आगे फैसला होगा। मुख्य वन संरक्षकों को भी नजर रखने को कहा गया है। अगर जांच में गड़बड़ी सामने आई, तो कड़ी कार्रवाई होगी।

Home / Crime / मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले बढ़ने से अफसरों के होश उड़े, 9945 मामलों में मुआवजे की मांग

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो