2017-अप्रैल से अगस्त के बीच आंकड़ों की बढोत्तरी से तो वन विभाग के अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। इन चार महीनों में ही पशु क्षति के अचानक एक-दो नहीं बल्कि 4843 मामले बढ़ गए। वन विभाग से 9945 मामलों में मुआवजे की मांग की गई है। यही हाल फसल नुकसान को लेकर है। चार महीने में 1334 हेक्टेयर में वन्यजीवों ने फसलों को नुकसान पहुंचाया । हाथियों द्वारा मकानों के क्षतिग्रस्त करने के मामले भी बढ़ गए। इन चार महीनों में ही हाथियों ने 74 मकान को ध्वस्त कर दिया। अचानक मुआवजे के बढ़े मामलों को लेकर वन विभाग के होश उड़ गए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में वन विभाग ने करीब साढ़े पांच करोड़ मुआवजा दिया था। इस बार चार महीने में ही 93 लाख दे चुका है, करीब आठ करोड़ तक और देना पड़ सकता है। वन मुख्यालय को संदेह है कि कई मामले संदिग्ध हैं। इसके बाद मुख्यालय ने वन संरक्षकों के अधीन बनने वाली समितियों को मुआवजे के मामलों की जांच करने को कहा है। इसके अलावा जांच रिपोर्ट और सुझावों को भी मुख्यालय जल्द भेजने का निर्देश दिया है। वन संरक्षकों के अधीन बनने वाली टीम सही काम कर रही है, उस पर भी नजर रखने की व्यवस्था की गई है। मुख्य वन संरक्षकों को वन संरक्षकों के अधीन बनी समिति के कामकाज पर नजर रखने और रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। विभागीय अधिकारियों को आशंका है कि मामले की जांच सही तरीके से हुई तो कई फर्जी मामलों का खुलासा हो सकता है।