मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उधार देने का यह मामला
नोटबंदी से पहले का है। नवंबर 2016 से पहले त्रिलोकी नामक शख्स ने अपनी दीदी-जीजाको प्लॉट बेचकर 7.25 लाख रुपये दिए थे। कुछ दिन पहले जरूरत पड़ने पर त्रिलोकी यह रकम वापस मांग रहा था, लेकिन उधार लौटता न देख विवाद हो रहा था। त्रिलोकी अपनी बड़ी बहन के घर पर ही रहता था क्योंकि तीन साल पहले उसकी पत्नी उसे छोड़कर मायके चली गई थी। उसकी मां भी नहीं है और पिता की दिमागी स्थिति ठीक नहीं है।
बुधवार सुबह उसकी बहन ने रोना शुरू कर दिया कि उसके भाई ने फांसी लगा ली है। सभी ने मामले को आत्महत्या का ही मानते हुए अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। इसी बीच त्रिलोकी का चाचा लाल चंद भी वहां पहुंचा और उसे कुछ शक हुआ। लाल चंद ने शक के आधार पर पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए पीजीआई रोहतक भिजवाया और केस दर्ज कर लिया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि त्रिलोकी की मौत फांसी पर लटकने से नहीं बल्कि गला घोंटने से हुई है। इसके बाद पुलिस ने त्रिलोकी की बहन को गिरफ्तार कर लिया और शुक्रवार को डीएलएफ क्राइम ब्रांच को सौंप दिया। सख्ती से पूछे जाने पर वो टूट गई और हत्या की बात कबूल ली।
पुलिस के मुताबिक पूछताछ में बहन ने बताया कि मंगलवार शाम को त्रिलोकी शराब पीकर घर आया और उधार की रकम मांगने के लिए बहन-बहनोई से झगड़ा शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वो घर से बाहर चला गया और देर रात करीब 11 बजे वापस आकर सो गया। कुछ देर बाद बहन उसके कमरे में गई और वहां पड़ी एक रस्सी से नशे में बेसुध सो रहे त्रिलोकी का गला घोंट दिया। सुबह होते ही उसने नाटक करते हुए रोना-धोना शुरू कर दिया कि त्रिलोकी ने फांसी लगा ली है।