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कोर्ट ने मामले पर लिया संज्ञान
वहीं, इस मामले में कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोलकता हाईकोर्ट ने राज्य के हेल्थ एजुकेशन निदेशक को तीन मनोवैज्ञानिकों की टीम बनाकर जांच करने और एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
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कोर्ट ने समलैंगिकता पर सुनाया था ये फैसला
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को मान्यता देते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। पूर्व चीफ जस्टिस की अगुवाई में 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की संबैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया था। अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है। इसे अपराध ठहराने वाली धारा 377 के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी लोग अब भी समलैंगिकता को अपराध मान रहे हैं। अबी भी पूरी तरह से समलैंगिकों को अपनी पसंद के हिसाब से जिंदगी जीने नहीं दिया जा रहा है।