6 महीने तक ललित भाटिया की चली गई थी आवाज
इस हादसे के बाद जब ललित का इलाज चल रहा था तो उनका झुकाव पूजा-पाठ और धार्मिक कामों में ज्यादा हो गया। ललित का बोलना लगभग 6 महीने तक बिल्कुल बंद रहा था। इसी समयसीमा में ललित के पिता गोपाल दास की मौत हो गई और इसके बाद ललित की आवाज वापस आ गई। लेकिन वह खुद की नहीं बल्कि पिता की टोन में बात करने लगा। ललित की आवाज का वापस लौटना भाटिया परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। इसके बाद ललित की धार्मिक आस्था बढ़ गई और वह ज्यादा पूजा-पाठ करने लगा।
इस हादसे के बाद जब ललित का इलाज चल रहा था तो उनका झुकाव पूजा-पाठ और धार्मिक कामों में ज्यादा हो गया। ललित का बोलना लगभग 6 महीने तक बिल्कुल बंद रहा था। इसी समयसीमा में ललित के पिता गोपाल दास की मौत हो गई और इसके बाद ललित की आवाज वापस आ गई। लेकिन वह खुद की नहीं बल्कि पिता की टोन में बात करने लगा। ललित की आवाज का वापस लौटना भाटिया परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। इसके बाद ललित की धार्मिक आस्था बढ़ गई और वह ज्यादा पूजा-पाठ करने लगा।
पुलिस की एफआईआर ने बदल दी है एक थ्योरी
पुलिस की एफआईआर में एक फैक्ट जो बदल गया है, वो ये है कि जिस वक्त शव मिले थे बताया जा रहा था कि ललित के हाथ-पांव खुले हुए थे, लेकिन पुलिस की एफआईआर में कहा गया है कि जिस वक्त लाशें मिलें, उस समय ललित के हाथ-पांव बंधे हुए थे। इससे हत्या की अटकलें खारिज होती दिख रही हैं। पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, शुभम का मुंह, हाथ व आंख, टीना का मुंह, भुवनेश के पैर व आंखों पर पट्टी लिपटी मिली थी। वहीं, प्रियंका के हाथ, मुंह और आंखें, नीतू के हाथ, पैर और आंख, मोनू के पैर, ध्रुव के पैर, मुंह व आंखें और सविता के पैर, मुंह और प्रतिभा के कमर से हाथ बंधे थे।
पुलिस की एफआईआर में एक फैक्ट जो बदल गया है, वो ये है कि जिस वक्त शव मिले थे बताया जा रहा था कि ललित के हाथ-पांव खुले हुए थे, लेकिन पुलिस की एफआईआर में कहा गया है कि जिस वक्त लाशें मिलें, उस समय ललित के हाथ-पांव बंधे हुए थे। इससे हत्या की अटकलें खारिज होती दिख रही हैं। पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, शुभम का मुंह, हाथ व आंख, टीना का मुंह, भुवनेश के पैर व आंखों पर पट्टी लिपटी मिली थी। वहीं, प्रियंका के हाथ, मुंह और आंखें, नीतू के हाथ, पैर और आंख, मोनू के पैर, ध्रुव के पैर, मुंह व आंखें और सविता के पैर, मुंह और प्रतिभा के कमर से हाथ बंधे थे।
आज भी मिले हैं दिल्ली पुलिस को रजिस्टर
मीडिया रिपोर्ट्स की जानकारी के मुताबिक, पुलिस की टीम को बुधवार को कुछ और रजिस्टर मिले हैं, जिनमें 2011 की लिखाई बताई जा रही है। इन रजिस्टरों में भी पहले मिले रजिस्टर जैसी बाते लिखी है। इनकी फैमिली, जो रिश्तेदार सगाई में आए थे उनसे और पड़ोसियों से बच्चों के दोस्तों से बात हुई लिखी है।
मीडिया रिपोर्ट्स की जानकारी के मुताबिक, पुलिस की टीम को बुधवार को कुछ और रजिस्टर मिले हैं, जिनमें 2011 की लिखाई बताई जा रही है। इन रजिस्टरों में भी पहले मिले रजिस्टर जैसी बाते लिखी है। इनकी फैमिली, जो रिश्तेदार सगाई में आए थे उनसे और पड़ोसियों से बच्चों के दोस्तों से बात हुई लिखी है।
रजिस्टर में लिखी हैं ये बातें
दिल्ली पुलिस को जो रजिस्टर मिले हैं उसमें 27 मई 2013 की तारीख का जिक्र है, जिसमें लिखा है कि ध्यान रखो अपनी गलती को, सुन कर मन छोटा ना करो, जो गलती की है, वो गलती स्वीकार कर आगे बढ़ो वर्तमान की बात करो, भविष्य अपने पास से अच्छा बनेगा, आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना तो एक जुट होकर किया जा सकता है।
दिल्ली पुलिस को जो रजिस्टर मिले हैं उसमें 27 मई 2013 की तारीख का जिक्र है, जिसमें लिखा है कि ध्यान रखो अपनी गलती को, सुन कर मन छोटा ना करो, जो गलती की है, वो गलती स्वीकार कर आगे बढ़ो वर्तमान की बात करो, भविष्य अपने पास से अच्छा बनेगा, आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना तो एक जुट होकर किया जा सकता है।