गौरतलब है कि तमिलनाडु के पर्यावरण मंत्री करुप्पन ने प्लास्टिक प्रतिबंधित होने का दावा पिछले सोमवार को ईरोड में किया था। चेन्नई के उपनगरों में प्रतिबंधित प्लास्टिक की मौजूदा हकीकत जानने के लिए जब कोयम्बेडु मार्केट में देखा गया तो वहां पर्यावरण मंत्री का दावा पूर्णरूपेण गलत साबित हुआ।
कोयम्बेडु मार्केट के बाहर फुटपाथों पर लगी दुकानों पर विक्रेता खुलेआम पॉलीथिन की थैलियों में फल, फूल और सब्जियां बेचते हैं। फुटपाथ पर सब्जियां बेच रहे आर मलेसन का कहना था कि हम छोटे दुकानदार फुटपाथ पर सब्जियां बेच कर ही परिवार का भरण पोषण करते हैं। यदि हम थैलियों में सब्जियां नहीं बेचेंगे तो हमसे सब्जियां खरीदेंगे कौन? मंडी में ऐसे बहुत लोग आते हैं जिसके पास सामान ले जाने के लिए कोई बैग नहीं होता। खासकर हम लोगों से वही खरीददार सब्जियां लेते हैं जिनका बजट आधा किलो और पौन किलो खरीदने का रहता है। थोक में और सप्ताह भर की सब्जियां खरीदने वाले ग्राहक मंडी के अंदर स्थायी दुकानदारों से ही खरीदते हैं।
इसी प्रकार फूल बाजार के दुकानदार कनगप्पन के अनुसार फूल बाजार में पॉलीथिन का उपयोग करना उनकी मजबूरी है। उन्होंने कहा कि फूल हल्का होता है। और उसे फ्रेश रखने के लिए समय समय पर पानी का छिडक़ाव करना पड़ता है। साथ ही सूखने से बचाने के लिए इनको प्लास्टिक के बड़े थैले में रखना पड़ता है ताकि लोग देख सकें, लेकिन यदि हम प्लास्टिक बैग में इनको नहीं रखेंगे तो ये न किसी ग्राहक को दिखाई देंगे और न ही ग्राहक इनको खरीदेगा। सरकार को हमारी रोजी रोटी पर विचार करना चाहिए।
माधवरम की एक स्ट्रीट में टिफिन की दुकान में प्लास्टिक की थैलियों के प्रतिबंध के बावजूद उपयोग के बारे में पूछा तो विक्रेता रेवती ने बताया कि पहले तो प्लास्टिक की थैलियों में पार्सल देने में डर लगता था लेकिन अब तो हर जगह इनका उपयोग हो रहा है। इसी प्रकार पूंदमल्ली हाई रोड पर एक रेस्तरां मालिक के अनुसार वह प्लास्टिक बैग का उपयोग कचरा ढोने में करता है। रेस्तरां में जो अपशिष्ट पैदा होता है उसे ढोने के लिए सिर्फ प्लास्टिक का मोटा बैग ही कारगर होता है, उसका उपयोग भी एक बार ही किया जाता है। इसके बिना हम कचरे का निस्तारण कैसे करें?
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार के मंत्री जहां यह दावा करते हैं कि तमिलनाडु में प्लास्टिक उत्पाद ७५ प्रतिशत बंद हो चुके हैं जबकि चेन्नई महानगर जो राज्य की राजधानी है में ही हर जगह प्लास्टिक की थैलियों का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा हैं तो तमिलनाडु के अन्य हिस्सों का क्या हाल होगा। साथ ही यदि तमिलनाडु में १७० प्लास्टिक निर्माता यूनिट्स बंद हो चुकी हैं तो बाजार में प्लास्टिक के उत्पात आते कहां से हैं?
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु सरकार ने १ जनवरी से राज्य में प्लास्टिक उत्पाद पूरी तरह प्रतिबंध करने की घोषणा की थी और चेन्नई समेत राज्य के अन्य हिस्सों में भी इसका प्रभाव नजर आया था, राज्य में हजारों टन प्लास्टिक उत्पाद जब्त भी किया गया था, लेकिन महज छह महीने के अंदर ही सरकारी दावे को ठेंगा दिखाते हुए प्लास्टिक्क निर्माताओं ने भी थैलियों का निर्माण शुरू कर दिया है जबकि आमजन भी इसका इस्तेमाल बेरोकटोक कर रहे हैं।