प्रद्युमन मर्डर केस
इस केस में पुलिस ने 24 /घंटे में केस सुझलाते हुए स्कूल के बस कंडक्टर को पकड़ लिया था। उसने जुर्म भी कबूल कर लिया। प्रद्युमन के माता पिता पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं थे। अब सीबीआई ने अपनी जांच में हरियाणा पुलिस की थ्योरी को उलट दिया है। सीबीआई की अब तक की जांच में सामने आया है कि प्रद्युमन की हत्या कंडक्टर ने नहीं बल्कि उसी स्कूल की ग्यारहवीं के एक छात्र ने की है। इससे राज्य पुलिस की जांच शक के घेरे में आ गई है। मीडिया में लगातार इस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।यूपी के बदायूं का रेप व मर्डर केस
इससे पहले यूपी पुलिस को भी एक घटना पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। 2014 में बदायूं की दो युवतियों के रेप और मर्डर के आरोप में यूपी पुलिस ने गलत लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। जब इस घटना की सीबीआई ने जांच की तो फोरेंसिक रिपोर्ट तथा कॉल रिकॉर्ड के विश्लेषण से सामने आया कि दोनों की हत्या नहीं की गई थी, बल्कि दोनों ने आत्महत्या की थी। एक उच्च पद्स्थ सीबीआई सूत्र के अनुसार पुलिस ने मीडिया रिपोर्टों से प्रभावित होकर केस की जांच की थी। गौरतलब है कि 27 मई 2014 को बदांयू के गांव में दो बहनें अपने घर से लापता हो गई थीं। उनके शव अगली सुबह गांव के पास एक पेड़ से लटके पाए गए थे। तब कहा गया था कि रेप के बाद इन लड़कियों की हत्या कर इनके शव पेड़ पर लटका दिए गए हैं। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। एक पूर्व सीबीआई अधिकारी के अनुसार सीबीआई ने बदायूं वाले केस में तथ्यों की जांच करने में लगभग डेढ़ महीन का समय लगाया। लगभग इतना ही समय प्रद्युमन केस में लगा है। दरअसल हत्या के केस के लिए पूरी तरह से मीडिया रिपोर्ट्स पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।हिमाचल का गुड़िया हत्याकांड
इसी तरह हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक छात्रा के रेप और हत्या के मामले में हिमाचल प्रदेश पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी सूरज सिंह की हत्या कर दी गई और उसका केस इसी केस के एक अन्य आरोपी पर दर्ज कर दिया गया। बाद में जब गुड़िया दुराचार एवं कत्ल मामले की जांच सीबीआई को दी गई तो इसकी छानबीन में ये बात सामने आई है कि सूरज की हत्या राजू ने नहीं की है बल्कि पुलिस की ही इसमें भूमिका रही है। फोरेंसिक जांच में पांचों में से किसी के भी केस में शामिल होने की पुष्टि नही हुई। हिमाचल के हाल ही के चुनाव के लिए बीजेपी ने इस केस को प्रमुख मुद्दा बनाया।जुनैद खान हत्याकांड
पुलिस का ऐसा ही रवैया 15 साल के जुनैद खान की हत्या के मामले में भी देखने को मिला था। हरियाणा में चलती ट्रेन में जुनैद खान की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। केस की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने वरिष्ठ सरकारी वकील के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया। सरकारी वकील पर जुनैद की हत्या के अभियुक्त की मदद का आरोप था। जबिक जुनैद के परिजन पहले से ही ये कहते आ रहे थे कि हरियाणा पुलिस केस को जानबूझकर कमजोर कर रही है। वे सही तरह से जांच नहीं कर रही है।पहलू खान हत्याकांड
राजस्थान के अलवर में पहलू खान हत्या मामले में भी राजस्थान पुलिस की भी फजीहत हुई थी। राजस्थान पुलिस ने उन छह आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी, जिनके नाम मरने से पहले पहलू लिए थे। बता दें, राजस्थान के अलवर में पीट-पीटकर पहलू खान की हत्या कर दी गई थी। पहलू खान के बेटे इरशाद खान ने घटना की उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली जांच की मांग थी। उन्होंने छह लोगों को राजस्थान पुलिस द्वारा दी गई क्लीनचिट पर सवाल उठाया था कि उनके पिता ने मृत्यु पहले बयान में जिन लोगों के नाम लिए थे, ज्य सरकार उन लोगों को मुक्त करने के लिए ‘साजिश रच रही है।