पाक उच्चायोग से लश्कर कमांडर अबु दुजाना का शव लेने से इनकार कर दिया है। जम्मू कश्मीर पुलिस चाहती थी कि दुजाना के परिजन उसे आखिरी बार देख लें।
Abu Dujana
श्रीनगर। पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबु दुजाना के शव लेने इनकार कर दिया है। आज सुबह ही जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग से संपर्क कर उनसे लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबु दुजाना के शव को ले जाने को कहा था। कश्मीर पुलिस महानिरीक्षक मुनीर खान ने कहा था कि पाकिस्तान उच्चायोग से दुजाना के शव को नहीं ले जाते हैं तो हम उसकी उचित प्रकार से अंत्येष्टि कर देंगे। दुजाना पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टीस्तान इलाके का रहने वाला था।
पुलिस चाहती है दुजाना के परिजन बेटे को आखिरी बार देख लें
प्रशासन की इच्छा है कि दुजाना के परिजन उसकी अंत्येष्टि से पहले आखिरी बार अपने बेटे को देख पाएं और इसी मंशा से पाकिस्तान उच्चायोग से संपर्क साधा गया। पुलिस ने दुजाना के शव की अंत्येष्टि के लिए उसे स्थानीय नागरिकों को सौंपने से मना कर दिया। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, शव को उन स्थानीय नागरिकों को सौंपने का कोई मतलब नहीं हैं, जो घाटी का नहीं है।
एक आंतकी को दफनाया गया
इस बीच मंगलवार को हाकरीपोरा गांव में मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी आरिफ लालिहारी की अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए। आरिफ को मंगलवार शाम को पुलवामा जिले में उसके पैतृक गांव लालिहार गांव में दफना दिया गया
कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए सेना ने मंगलवार सुबह लश्कर कमांडर अबू दुजाना को ढेर कर दिया। इस दौरान दुजाना का एक और साथी मार गया था। जानकारी के मुताबिक सेना को पुलवामा के हाकरीपोरा में अबू दुजाना के छिपे होने की पुख्ता जानकारी मिली। जिस पर मंगलवार सुबह 4 बजे सेना ने पुलवामा जिले के हाकरीपोरा इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
इस दौरान ने सेना ने चेतावनी के लिए कई राउंड फायरिंग की लेकिन अबू दुजाना ने 4 घंटे तक गोली नहीं चलाई। कुछ देर बार सेना ने राकेट लांचर की मदद से घर को उड़ा दिया। इस दौरान अबू दुजाना और उसका साथी आरिफ ललहारी मारा गया। मुठभेड़ के दौरान स्थानीय युवकों ने पत्थरबाजी भी की लेकिन सुरक्षाबलों ने उनको मुठभेड़ स्थल तक नहीं पहुंचने दिया।
अबू कासिम के बाद संभाली थी लश्कर की कमान
सेना ने 2015 में लश्कर के पूर्व कमांडर अबू कासिम को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था। जिसके बाद अबू दुजाना को लश्कर की कमान सौंपी गई थी। अबू कासिम के वक्त दुजाना कश्मीर घाटी में युवाओं की भर्ती का काम किया करता था। सेना को लंबे समय से अबू दुजाना की तलाश थी।