जन सुरक्षा अधिनियम के तहत की गई गिरफ्तारी
यत्तू के बेटे ने पीएसए के खिलाफ दायर की याचिका
बीते 10 अगस्त को बनाया गया था बंदी
सप्लाई इंस्पेक्टर पंकज सिंह को भेजा गया जेल, युवती से रेप और धमकी का था आरोप
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को खत्म किए जाने के बाद से वहां के कई नेताओं का लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए कैद किया जा रहा है। अब नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद मकबूल यत्तू को सेंट्रल जेल में कैद कर दिया गया है। यत्तू को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के अंतर्गत बंदी बनाया गया। उत्तरी कश्मीर में बारामुला जिले के मोहम्मद मकबूल यत्तू पर लगाए गए पीएसए के खिलाफ उनके पुत्र ने अदालत में याचिका दायर की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद मकबूल यत्तू पर पीएसए लगाने के लिए पुलिस ने अपने डोजियर में सिफारिश की थी। डोजियर में सिफारिश का आधार यत्तू के नेशनल कांफ्रेंस से जुड़ा होना बनाया गया। इस सिफारिश पर बारामुला जिला मजिस्ट्रेट ने स्वीकृति दे दी।
देशभर में लागू होगा केवल एक हेल्पलाइन नंबर 112 बताया जा रहा है कि बीते 10 अगस्त को मोहम्मद मकबूल यत्तू को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया गया था। इस संबंध में जारी बारामुला जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के मुताबिक यत्तू का जन्म सन 1964 में सोपोर में हुआ था। उन्होंने 2004 से 2014 तक हैगाम में ऑकाफ समिति के सदस्य का पद संभाला। यत्तू नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख कार्यकर्ता हैं। यत्तू लोगों को शासन-प्रशासन के खिलाफ एकजुट करने के साथ ही भड़का सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर में आतंक विरोधी अभियान करें तेज आदेश में आगे बताया गया कि यत्तू की गतिविधियां शांति व्यवस्था बनाए रखने में परेशानी खड़ी कर सकती हैं। जबकि उन्हें हैगाम, सोपोर और अन्य नजदीकी इलाकों में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का प्रचार करने में संलिप्त पाया गया।
यत्तू जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को हटाए जाने के विरोध में नागरिकों को एकजुट कर रहे हैं, जो कानून व्यवस्था के सामने एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है। वहीं, उनके बेटे जावेद अहमद यत्तू ने इस संबंध में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने अपने पिता पर लगाए गए पीएसए का विरोध जताते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है।
वायुसेना को मिले Spice-2000 बम, बालाकोट एयरस्ट्राइक में किया था इस्तेमाल गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा घाटी को विशेष दर्जा दिए जाने वाले अनुच्छेद-370 को बीते अगस्त में खत्म करने के बाद वहां के कई नेताओं को हिरासत में रखा गया है। जबकि वहां के प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता बंद कर रखे हैं।