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केरल दुष्कर्म मामला: SC में आरोपी पादरियों की जमानत याचिका पर सुनवाई टली, गुरुवार तक नहीं होगी गिरफ्तारी

locationनई दिल्लीPublished: Jul 17, 2018 06:06:45 pm

Submitted by:

Saif Ur Rehman

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार की सुनवाई को गुरुवार के लिए निर्धारित कर दिया है।

Supreme Court Big Decision

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नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालात ने मलंकारा ऑर्थोडाक्स चर्च के दो पादरियों की अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई टाल दी। यह दोनों पादरी एक महिला के यौन शोषण के आरोप के बाद से फरार है। न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी व न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने मंगलवार की सुनवाई को गुरुवार के लिए निर्धारित कर दिया। फादर सोनी (अब्राहम) वर्गीज व फादर जैस के. जार्ज ने केरल उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। अब आरोपी पादरी की गिरफ्तारी 19 जुलाई तक नहीं होगी। दोनों पादरियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान केरल सरकार ने ये आश्वासन दिया। इस मामले पर अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। बता दें कि इस मामले के चार अभियुक्तों में से तीन अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिका केरल हाईकोर्ट खारिज कर चुका है।

क्या है मामला?

मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च में नियमित रूप से जाने वाली एक महिला ने पांच पादरियों पर लगभग एक दशक से उसके यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। पीड़िता के पति ने शिकायत दर्ज कराई कि पांच पादरियों ने उसकी पत्नी का यौन शोषण किया। आरोप है कि शुरुआत में इन पादरियों में सिर्फ एक पादरी महिला का उत्पीड़न कर रहा था, लेकिन जब पीड़िता ने अन्य पादरी से मदद मांगी तो उस पादरी ने भी महिला को धमकी दी और अन्य पादरियों के साथ मिलकर महिला का यौन उत्पीड़न किया। इस तरह महिला पांचों पादरियों के चंगुल में फंस गई। पीड़िता ने सिर्फ चार ही नामों का उल्लेख किया है, इसलिए एक पादरी कार्रवाई से बचा हुआ है। राष्ट्रीय महिला आयोग मामले पर नजर बनाए हुए है।
बच गया एक पादरी

एक पादरी कार्रवाई से बच गया क्योंकि पीड़ित ने सिर्फ चार नामों का उल्लेख किया। अदालत ने बीते हफ्ते भी आरोपियों को कोई राहत देने से इनकार कर दिया था। आरोपियों की मांग थी कि जब तक अदालत में जमानत याचिका दाखिल नहीं हो जाती, तबतक उनकी गिरफ्तारी को रोका जाना चाहिए। कोयट्टम मुख्यालय स्थित चर्च इन आरोपों के सामने आने के बाद सकते में है और कहा जा रहा है कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पिनाराई विजयन सरकार पर दबाव डाल रहा है। हालांकि, अदालत के कड़ा रुख अपनाने के बाद चर्च अधिकारियों ने इन पादरियों से कहा कि उनके पास कानून का सम्मान करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।

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