सुनंदा पुष्कर केस में थरूर की बढ़ सकती है मुश्किल, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला ललित के फैसले से घर की हुई तरक्की
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस परिवार के मुखिया भोपाल सिंह की मौत के बाद से ही ललित के अंदर उसके पिता की ‘आत्मा’ आने लगी थी। ललित 11 साल से पिता की आत्मा आने के बाद पिता की आवाज में परिवार से बात करता था। उन्हें क्या फैसला लेना है, वो पिता की आत्मा आने के बाद ललित ही लेता था। घर के हर मसले में उसका निर्णय ही अंतिम फैसला होता था। परिवार के 11 सदस्यों को यकीन हो चुका था कि ललित के अंदर उसके पिता की आत्मा आ आती है। पिछले 11 साल में ललित ने पिता की आत्मा आने के बाद से उसने फैसले लिए उसकी वजह से परिवार की काफी तरक्की हुई। एक दुकान से तीन दुकान हो गईं। इसलिए उसपर सभी लोगों का भरोसा ज्यादा था।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस परिवार के मुखिया भोपाल सिंह की मौत के बाद से ही ललित के अंदर उसके पिता की ‘आत्मा’ आने लगी थी। ललित 11 साल से पिता की आत्मा आने के बाद पिता की आवाज में परिवार से बात करता था। उन्हें क्या फैसला लेना है, वो पिता की आत्मा आने के बाद ललित ही लेता था। घर के हर मसले में उसका निर्णय ही अंतिम फैसला होता था। परिवार के 11 सदस्यों को यकीन हो चुका था कि ललित के अंदर उसके पिता की आत्मा आ आती है। पिछले 11 साल में ललित ने पिता की आत्मा आने के बाद से उसने फैसले लिए उसकी वजह से परिवार की काफी तरक्की हुई। एक दुकान से तीन दुकान हो गईं। इसलिए उसपर सभी लोगों का भरोसा ज्यादा था।
सोनाली बेंद्रे को कैंसर, चौथी स्टेज पर है जान का खतरा तीन लोगों के हाथ खुले थे
क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक यह परिवार बरगद की तपस्या करके अपने परिवार की खुशहाली के लिए यह पूजा कर रहा था जो सात दिन से चल रही थी। एक आत्मा को खुश करने के चक्कर में 11 लोगों की जान चली गई। इनमें से तीन भूपी, ललित और टीना के हाथ खुले हुए थे। क्राइम ब्रांच को भाटिया परिवार के घर से 11 रजिस्टर मिले हैं जिनमें मौत की पूरी कहानी सिलसिलेवार तरीके से लिखी हुई है। पुलिस ने बताया कि 2007 से यानि 11 साल से अपने पिता की आवाज निकाल रहा था। परिवार के 11 सदस्यों के अलावा किसी को यह बात पता नहीं थी।
क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक यह परिवार बरगद की तपस्या करके अपने परिवार की खुशहाली के लिए यह पूजा कर रहा था जो सात दिन से चल रही थी। एक आत्मा को खुश करने के चक्कर में 11 लोगों की जान चली गई। इनमें से तीन भूपी, ललित और टीना के हाथ खुले हुए थे। क्राइम ब्रांच को भाटिया परिवार के घर से 11 रजिस्टर मिले हैं जिनमें मौत की पूरी कहानी सिलसिलेवार तरीके से लिखी हुई है। पुलिस ने बताया कि 2007 से यानि 11 साल से अपने पिता की आवाज निकाल रहा था। परिवार के 11 सदस्यों के अलावा किसी को यह बात पता नहीं थी।
टीना खरीदकर लाई फांसी की चुन्नी
फांसी लगाने के लिए जिस चुन्नी औ कपड़ों का इस्तेमाल हुआ, वो टीना और उसकी मां उसी दिन पास के ही बाजार से लाये थे। ललित के कहने पर ही वो लोग इसे खरीदने के लिए बाजार गए और वहां से चुन्नी खरीद लाए। वही चुन्नी सबके मौत का कारण बना।
फांसी लगाने के लिए जिस चुन्नी औ कपड़ों का इस्तेमाल हुआ, वो टीना और उसकी मां उसी दिन पास के ही बाजार से लाये थे। ललित के कहने पर ही वो लोग इसे खरीदने के लिए बाजार गए और वहां से चुन्नी खरीद लाए। वही चुन्नी सबके मौत का कारण बना।