मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पहली घटना बीते 27 अक्टूबर को चुराचंदपुर जिला स्थित चींगकवनपंग गांव में देखने को मिली। यहां पर ग्रामीणों की मुर्गियों और बत्तखों को भारी संख्या में मारकर उनके कटे-फटे शरीर को फेंक दिया गया था। इसके बाद पुलिस, जिला प्रशासन और सीएसओ समेत अन्य की निगरानी में एक विशेष रानी टीम का गठन किया गया, लेकिन वन्यजीवों की मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। मवेशियों-पक्षियों की इन हत्याओं का सिलसिला यहां से अन्य जिलों में भी फैल गया।
चुराचंदपुर में मिली मृत पक्षियों की शुरुआती ऑटोप्सी रिपोर्ट में पता चला कि इनकी मौत की वजह किसी जानवर के तेज दांत थे। इसके बाद मवेशियों की मौत की घटनाएं अन्य जिलों में भी बढ़ती गईं और इंफाल पहुंच गईं।
शुक्रवार को थूबल टेकम लीकाई में एक सूकर (पिग) के बच्चे का आधा खाया गया शव बरामद हुआ, जबकि एक दिन पहले ही कंगपोकी जिले एक गर्भवती गाय मृत पाई गई थी, जिसके सींग निकाल लिए गए थे और काकिंग जिले में दो भेड़ें भी मृत मिलीं जिनका शरीर पूरी तरह से निगला गया था।
मंत्री ने कहा कि शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक आशंका है कि चुराचंदपुर, पूर्वी इंफाल, काचिंग और कंगपोकी समेत प्रदेशभर में हो रही मवेशियों की हत्या के पीछे सिवेट बिल्लियां हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यद्यपि घाटी के कई इलाकों में बड़ी संख्या में सिवेट बिल्लियां पाई जाती हैं, लेकिन वे इंसानों के लिए खतरा नहीं हैं।
उन्होंने बताया कि फोरेंसिक विभाग समेत राज्य के विशेषज्ञ भी वन विभाग के कर्मचारियों की टीम के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण स्थानों पर आवश्यक कदम उठा रहे हैं। यह टीम आज से मणिपुर चिड़ियाघर में विभिन्न जानवरों के खाने के तरीकों का भी अध्ययन करेगी। जब तक इस रहस्यमयी जीव के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं सौंप दी जाती, तब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकती।